बुलेट ट्रेन चलाने से पहले हमारा भी कुछ सोंचो सरकार....




संगड़ाह में दीपावाली के दौरान कईं बसों की छत पर भी नहीं थी जगह

बसों की भारी कमी के चलते 41 पंचायतों के लोग ऐसा जोखिम उठाने पर मजबूर




भारत सरकार भले ही देश के कुछ बड़े शहरों में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए कमर कस चुकी हों, बेशक कुछ अन्य शहरों में सस्ती हवाई यात्रा शुरू की जा चुकी है ! मगर इसी न्यू इंडिया के कुछ अभागे क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां लोग बसों जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरसते हैं। जिला सिरमौर के नागरिक उपमंडल संगड़ाह में बसों की भारी कमी के कारण आए दिन लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र रहे इस इलाके का आज तक एनएच अथवा राज्य उच्च मार्ग से न जुड़ पाना भी यहां बसों की कमी का एक मुख्य कारण बताया जाता है।


विकास खंड संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली 41 पंचायतों की करीब 74,000 की आबादी के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम की मात्र डेढ़ दर्जन बसें उपलब्ध है तथा निजी बसों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह में सोमवार से गुरुवार तक दीपावली के चलते अधिकतर बसों में भारी भीड़ रही तथा छतों पर भी यात्रियों का जमावड़ा देखा गया। दीपावली के दौरान निजी बसों में सरकारी बसों के मुकाबले ज्यादा ओवरलोडिंग देखी गई तथा कईं बसों में तो छत पर भी यात्रियों को जगह नहीं मिली।


 क्षेत्र में बसों की भारी कमी तथा दीपावली के चलते धनतेरस के बाद से लगातार भारी संख्या में लोग बसों की छतों पर जोखिम भरी यात्रा करते देखे गए। दीपावली के लिए अपने घर आ-जा रहे कईं साधन संपन्न लोगों ने हांलांकि टेक्सी अथवा निजी गाड़ियों से भी सफर किया, मगर सैंकड़ों आम लोग ओवरलोडेड बसों से ही गंतव्य तक पहुंचे। नागरिक उपमंडल संगड़ाह की सड़कों पर गत साढ़े पांच साल में वाहन हादसों में करीब 106 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें से 48 की मौत तीन निजी बस दुर्घटनाओं में हुई हैं। सौ से ज्यादा लोगों की जान जाने के बावजूद तब से अब तक हालात नही सुधरे। 


निजी बस ऑपरेटरों तथा परिवहन निगम के चालक परिचालकों के अनुसार दरअसल लोग दीपावली के लिए घर आ-जा रहे हैं, जिसके चलते ज्यादा भीड़ है। उन्होंने कहा कि, क्षेत्र के कईं दूरदराज के गांव तक एक-दो ही बस चलती है, जिसके कारण यात्रियों को छोड़ा नहीं जा सकता। फेस्टिवल सीजन में खरीदारी के चलते भी बसों व दुकानों में भीड़ रही। इस तरह के त्यौहारों के दौरान न तो लोग अतिरिक्त बसों की मांग करते हैं और न ही सरकार अथवा प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान दिया जाता है। परिवहन निगम द्वारा दीपावली की शाम 4 बजे लोकल चालक-परिचालकों को छुट्टी दिए जाने के चलते गुरुवार सुबह भी अधिक्तर बसें निर्धारित समय व रूट पर नहीं पंहुची। बहरहाल सोमवार से गुरुवार तक लोग लगातार बसों की छतों पर यात्रा करते हुए देखे गए तथा बसों की कमी के चलते बिना टेक्सी परमिट के छोटे वाहनों ने भी खूब कमाई की। एसडीएम तथा डीएसपी संगड़ाह आदि अधिकारियों के अनुसार समय-समय पर वाहन अधिनियम की अवहेलना करने वालों पर कार्यवाही की जाती है। क्षेत्र में नए निजी बस रूट संबंधी प्रपोजल जिला स्तरीय कमेटी को भेजी जा चुकी है।

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