बुझ गई.... हिमाचल मे साक्षरता की 1 मशाल

HGVS के पूर्व राज्य अध्यक्ष पंडित हेमचंद्र शर्मा पंचतत्व में विलीन
चार लोगों के साथ केरल Visit कर Government से 1 साल पहले शुरू किया था Literacy mission  

संगड़ाह के गांव माईना में पहली Village library खोलने वाला World book Day पर कह गया अल्विदा

23, अप्रेल को ही पैदा हुए थे पुस्तक प्रेमी 

पंडित हेमचंद्र शर्मा दो साल रहे 20 हजार Members वाले संगठन के मुखिया

 हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के पूर्व अध्यक्ष एवं जिला सिरमौर में Literacy Mission के अग्रदूत रहे पंडित हेमचंद्र शर्मा का मंगलवार प्रातः ददाहू स्थित उनके निवास स्थान पर देहांत हो गया। देश की आजादी से पूर्व 1934 में 23, अप्रैल को ही पैदा हुए गुरुजी के नाम से मशहूर हेमचंद्र शर्मा की अंतिम यात्रा में सैंकड़ों लोग शामिल हुए। Social worker एवं साहित्यकार के रूप में मशहूर इस शख्सियत को साक्षरता अभियान का अग्रदूत इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने सिरमौर में सरकारी स्तर पर साक्षरता mission शुरू होने से एक साल पहले वर्ष 1991 मे 4 लोगों के साथ मिलकर उक्त अभियान का शंखनाद कर दिया था। उस दौरान केरल के पूर्ण साक्षर जिला अरूणाकलम में हुई Literacy Mission संबंधी एक कार्यशाला में हिमाचल के दूरदराज सिरमौर जिला से हेमचंद्र शर्मा के साथ विरेन्द्र कपूर, विश्वनाथ शर्मा तथा हेमलता शर्मा नामक समाज सेवी शामिल हुए थे।
  केरल से सिरमौर पंहुची साक्षरता की मशाल को उक्त सिपाहियों ने अगले एक दशक तक बुझने नहीं दिया और हेमचंद्र शर्मा की कार्यकुशलता के चलते 2001 मे उन्हें दो साल के लिए ज्ञान विज्ञान समिति का अध्यक्ष चुना गया। वर्तमान में करीब 20 हजार सदस्यों वाली ज्ञान विज्ञान समिति की Membership 1993 में 80 हजार तक पहुंच गई थी। विश्व पुस्तक दिवस पर पंचतत्व में विलीन हुए साक्षरता के इस सिपाही को ग्रामीण पुस्तकालय अभियान के जनक के रूप में भी जान जाता है। 1990 के दशक मे दशक में इन्होंने अपने पैतृक गांव माईना में स्थानीय लोगों के सहयोग से अपने स्तर पर पहला ग्रामीण पुस्तकालय खोला था। माईना के अलावा Sirmaur जिला के ददाहू व नाहन में भी उनके बेटे, बेटियों व अन्य परिजनों के घर अथवा रिहाईशी मकान है। 1990 के दशक में उन्होंने सिरमौर जिला व संगड़ाह क्षेत्र के किसानों को टमाटर व अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया था तथा उक्त फसलें आज जिला की प्रमुख Cash crops में शामिल हैं। Pundit शर्मा को पहाड़ी कवि व साहित्यकार के रूप में भी जाना जाता है तथा वह जन विज्ञान आंदोलन की कुछ पुस्तकों के संपादक भी रहे हैं। 

 तीन दशक तक हिमाचल के पहले Chief Minister डॉ यशवंत परमार के करीबी रहे इस शख्स का 90 के दशक से मानवतावाद अथवा वामपंथ की ओर निस्वार्थ झुकाव भी चर्चा में रहा, हालांकि वह बतौर शिक्षक सेवानिवृत्त होने के बाद किसी भी Political Party के सदस्य नहीं रहे। उनके बेटों ने बताया कि, पिछले कुछ दिनों से उनका PGI चंडीगढ़ से इलाज चल रहा था। Himachal Gyan Vigyan Samiti की State committee ने समिति के पूर्व राज्याध्यक्ष पं हेमचंद्र शर्मा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। समिति के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र कपूर, राज्य सचिव जीयानंद शर्मा व जिला अध्यक्ष सुभाष शर्मा सहित प्रदेश कार्यकारिणी ने यहां जारी एक बयान में शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की है।



समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर तथा हेमचंद्र शर्मा के साथ बतौर संगठन सचिव काम कर चुके सत्यवान पुंडीर ने कहा कि, गुरुजी के नाम से मशहूर पं शर्मा साक्षरता अभियान तथा हिमाचाल ज्ञान विज्ञान समिति के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत रहेंगे। उन्होंने हालांकि सही मायनों में गांधीवादी मूल्यों को अपनाया लेकिन Progressive विचारों के भी हिमायती रहे। ब्राह्मण सभा की संगड़ाह व सिरमौर इकाई ने भी उनके निधन पर शोक जताया। वह साहित्यकार के अलावा एक प्रखर वक्ता भी थे। मुख्यधारा वाले सियासी दलों से जुड़कर लाभ उठाने की बजाय उन्होंने आमरण समजसेवा को तवज्जो दी। बहरहाल सिरमौर में भारतीय साक्षरता Mission को जनमुहीम का रूप देने वाले इस पंडित के निधन से जिला में शोक की लहर है।

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