"बूढ़ी दिवाली" को नोएडा में मिला Best Documentary Award

USA के Diversity Film Festival में भी दिखाई गई थी सिरमौरी फिल्मकार मेलाराम शर्मा की लघुकथा  
 विदा ले रहा वर्ष 2019 हिमाचल के कला प्रेमियों व फिल्मकारों को एक सुखद News दे गया है। हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत Film Producer & Director मेलाराम शर्मा ने बताया कि, सिरमौर की गौरवपूर्ण सांस्कृतिक परंपराओं को लेकर निर्मित "बूढ़ी दिवाली" नामक डॉक्यूमेंट्री को सोमवार को नोएडा में हुए लेकसिटी International Film Festival में देश की Best Documentary Award से नवाजा गया। 
 निर्णायक मंडल की ज्यूरी में देश के नामचीन फिल्म समीक्षक व आलोचक विवेक व्यास, Film Director सतीश शुक्ला, Famous रंगमंच Actor विनय कुमार, फिल्म समीक्षक व पत्रकार साजन वर्मा संजय तथा Creative Designer अमृता दत्ता शामिल थे। गौरतलब है कि, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से बतौर Diputy Director सेवानृवित उपमंडल संगड़ाह के गांव अरट के मेला राम शर्मा को पिछले 38 वर्षों से देवभूमि की लोक संस्कृति के संरक्षण व लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कईं Award से सम्मानित किया जा चुका है। 

 सिरमौर जनपद की सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित उनके द्वारा बनाई गई बूढ़ी दिवाली डॉक्यूमेंट्री Film को मुंबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म Festival में भी स्पेशल जूरी अवॉर्ड से नवाजा गया था। इतना ही नहीं Dudhi Diwali को अमेरिका के Diversity Film festival में भी 15 अगस्त 2019 को दिखाया जा चुका है। इस फिल्म में सिरमौर जनपद के बूढ़ी दीवाली उत्सव के दौरान आयोजित किए जाने वाले पारंपरिक बुड़ेछू अथवा चोलटू नृत्य के अलावा स्वांग, खेलटू, रासा Dance व मशाल जुलूस तथा उत्सव के दौरान पारंपरिक खान-पान आदि परंपराओं को फिल्माया गया है। 
    
कईं कला समीक्षकों ने इस Documentary फिल्म के खुलकर सराहना की है। गौरतलब है कि, मेला राम शर्मा द्वारा तैयार की गई रेणुकाजी Dam विस्थापितों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म In The Twilight Zone गत वर्ष शिमला के अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में प्रदेश की Best डॉक्यूमेंट्री फिल्म का पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है। इससे पूर्व मेला राम शर्मा को शिमला में आयोजित एक समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की कईं विशिष्ट हस्तियों के साथ प्रतिष्ठित कला सम्मान से नवाजा गया था। यह सम्मान मुख्य सचिव डॉ श्रीकांत वाल्दी ने प्रदान किया था।

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