विक्रांत केवल 1 युद्धपोत नहीं, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है : PM
औपनिवेशिक अतीत से अलग, Prime Minister ने नये नौसेना ध्वज का अनावरण किया
रक्षा मंत्री ने आईएनएस विक्रांत को आकांक्षी और आत्मनिर्भर ‘नये भारत’ का प्रकाशवान प्रतीक बताया
“यह अगले 25 वर्षों में राष्ट्रीय सुरक्षा और संरक्षा को सुनिश्चित करने के हमारे संकल्प का प्रमाण है”
आईएनएस विक्रांत देश की सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा करेगाः राजनाथ सिंह
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार (02 सितंबर, 2022) को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CLS) में स्वदेशी निर्माण में देश की बढ़ती शक्ति और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक प्रमुख पड़ाव के प्रतीक के रूप में देश के पहले स्वदेशी Aircraft Carrier INS Vikrant को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया। इस कार्यक्रम के दौरान औपनिवेशिक अतीत से अलग, प्रधानमंत्री ने नये नौसेना ध्वज का अनावरण किया और उस निशान को छत्रपति शिवाजी के प्रति समर्पित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन मे प्रधानमंत्री ने कहा कि, आज यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नये भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। उन्होंने कहा कि आज हम सब स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को सच होता देख रहे हैं, जिसमें उन्होंने सक्षम और शक्तिशाली भारत की परिकल्पना की थी। Prime Minister ने कहा, “विक्रांत विशाल, विराट और विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दूरंत हैं, यात्राए दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनन्त हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत।आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत
आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत
राष्ट्र के नये माहौल पर टिप्पणी करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि, आज के भारत के लिये कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं रही। उन्होंने कहा, “आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करते हैं। आज आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नये विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।” प्रधानमंत्री ने नौसेना, कोचीन शिपयार्ड के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और खासतौर से उन कामगारों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने इस परियोजना पर काम किया है। उन्होंने कहा कि ओणम के आनन्ददायी और पवित्र अवसर ने आज के इस अवसर को और अधिक आनन्ददायी बना दिया है। आईएनएस विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो इस्पात लगा है, वह इस्पात भी स्वदेशी है, जिसे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है तथा भारतीय कंपनियों ने निर्मित किया है। विमान वाहक पोत की विशालता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक तैरते हुए शहर की तरह है। यह इतनी बिजली पैदा करता है जो 5000 घरों के लिये पर्याप्त होगी और इसमें जितने तार का इस्तेमाल हुआ है, उसे फैलाया जाये, तो वह कोच्चि से काशी पहुंच जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आईएनएस विक्रांत पांच प्रणों की भावना का समुच्चय है, जिसका उद्घोष उन्होंने लाल किले की प्राचीर से किया था। प्रधानमंत्री ने भारतीय सामुद्रिक परंपरा और नौसैन्य क्षमताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आये, तो वे भारतीय जहाजों और उनके जरिये होने वाले व्यापार की ताकत से घबराये रहते थे, इसलिये उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय British Parliament में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये गये थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि, आज 02 सितंबर वह Historical तारीख है, जब भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को सीने से उतार दिया है। आज से को एक नया ध्वज मिला है। उन्होंने कहा कि अब तक Indian Navy के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहरायेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिये उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नये भारत की बुलंद पहचान बन रही है। अब भारतीय नौसेना ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिये खोलने का फैसला किया है। जो पाबंदियां थीं, वे अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिये कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिये भी अब कोई दायरा या बंधन नहीं होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि बूंद-बूंद जल से विराट समंदर बन जाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेशी तोपों से सलामी दी गई थी। इसी तरह भारत का एक-एक नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा। बदलती भू-रणनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले समय भारत-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा, लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिये देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता हैं। इसलिये हम नौसेना के लिये बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शक्तिशाली भारत शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व का मार्ग प्रशस्त करेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “जब भारत पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है, तो इसके मद्देनजर वैश्विक व्यापार में हमारा हिस्सा आने वाले दिनों में बढ़ेगा। अगर हमारा हिस्सा बढ़ेगा, तो उसका बड़ा भाग समुद्री मार्गों के जरिये ही होगा। ऐसी परिस्थिति में, आईएनएस विक्रांत हमारी सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिये अहम साबित होगा।” इस अवसर पर, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने 2047 तक देश के पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाने के हवाले से इंडिया@100 के लिये अपनी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप नौसेना 5 संकल्पों पर आगे बढ़ने के लिये प्रतिबद्ध है – विकसित भारत, गुलामी के निशानों को दूर करना, विरासत के प्रति गर्व, एकता और कर्तव्य निर्वहन।
INS विक्रांत को लेकर रोचक तथ्य
आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र-सेवा में समर्पत करना राष्ट्र के लिये गौरवशाली क्षण है, क्योंकि इसके जरिये ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान ‘आत्मनिर्भर’ भावना परिलक्षित होती है। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में यह देश के जोशो-खरोश का सच्चा परिचायक है। राष्ट्र-सेवा में इसके समर्पित होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी स्तर पर विमान वाहक पोत की डिजाइन तैयार करने तथा उनके निर्माण की क्षमता है। यह राष्ट्र के आत्मनिर्भर और ‘मेक इन इंडिया’ के संकल्प का सच्चा प्रमाण है। आईएनएस विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है। 262.5 मीटर लंबा और 61.6 मीटर चौड़ा विक्रांत का वजन लगभग 43,000 टन है। इसकी अधिकतम रफ्तार 28 नॉट की बनाई गई है और यह 7,500 नॉटिकल माइल तक की रफ्तार झेल सकता है। पोत में 2,200 कंपार्टमेंट हैं, जिसमें महिला अफसरों और नाविकों को मिलाकर लगभग 1600 कर्मी रह सकते हैं। पोत को यांत्रिक संचालन, नौवहन और हर स्थिति का सामना करने के योग्य बनाया गया है, जिसके लिये उच्च कोटि की मशीनें लगाई गई हैं। विमान वाहक को उत्कृष्ट उपकरणों और प्रणालियों से लैस किया गया है। यह पोत वायु यान संचालन की क्षमता रखता है और इसके तहत 30 वायु यान आते हैं, जिनमें मिग-29के युद्धक विमान, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इनके अलावा स्वदेशी स्तर निर्मित उन्नत हल्के Helicopter और हल्के युद्धक विमान (नौसेना) को भी शामिल किया गया है। शॉर्ट टेक-ऑफ बट एरेस्टेड रिकवरी (स्टोबार) नामक एक नई वायुयान संचालन प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह आईएनएस विक्रांत को लॉन्चिंग एयरक्राफ्ट के लिये एक स्की-जम्प तथा विमानों के पोत पर ही रोकने के लिये ‘अरेस्टर वायर्स’ से भी लैस किया गया है। INS में 76% स्वदेशी सामान लगा है। इस तरह सीएसएल के दो हजार से अधिक कर्मचारियों को सीधे रोजगार मिला। इसके साथ ही 550 ओईएम के लिये लगभग 12,500 कर्मचारियों, उप-ठेकेदारों, सहायक उद्योगों और 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को भी काम मिला। इस तरह अर्थव्यवस्था पर इसका रचनात्मक प्रभाव हुआ।
भारतीय नौसेना का नया निशान
औपनिवेशिक अतीत के बोझ से छुटकारा पाने के क्रम में देश के वर्तमान प्रयासों के मद्देनजर इस बात की जरूरत महसूस की गई कि अपने इतिहास से प्रेरित कोई नया डिजाइन तैयार किया जाये। सफेद निशान नौसेना की राष्ट्रव्यापी उपस्थिति का प्रतीक है। अब उसमें दो प्रमुख घटक जुड़ गये हैं– ऊपर बाईं तरफ राष्ट्रीय ध्वज, बीच में गहरा नीला– स्वर्ण अष्टभुजा आकार (स्तंभ से हटकर) बना है। अष्टभुजा आकार में दो दोहरे स्वर्ण अष्टकोणीय छोर बने हैं, जो स्वर्ण राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तम्भशीर्ष) स्थित है। नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। इसे एक ढाल पर अंकित किया गया है। ढाल के नीचे, अष्टभुजाकार के भीतर, सुनहरे किनारे वाला रिबन बना है, जो गहरे नीले रंग के ऊपर है। वहां सुनहरे अक्षरों में भारतीय नौसेना का ध्येय-वाक्य ‘शं नो वरुणः’ लिखा है। डिजाइन के तहत अष्टभुजाकार के भीतर भारतीय नौसेना की कलगी, लंगर बना था, जो औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा था। इस समारोह मे केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल व रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट सहित रक्षा मंत्रालय और सीएसएल के वरिष्ठ सिविल व सैन्याधिकारी मौजूद रहे।
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