Buddhist Studies and Culture पर Central University मे होगी International Convention

हिमाचल में बौद्ध संस्कृति व पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फरवरी मे आयोजित होगा Mega Event
धर्मशाला। हिमाचल में बौद्ध संस्कृति व पर्यटन के प्रोत्साहन के लिए आगामी फरवरी माह में केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। CU के कुलपति प्रो सत प्रकाश बंसल ने कहा कि, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन के सहयोग से इस सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस सम्मेलन में Dalai Lama, हिमाचल के Chief Minister, Governor of Himachal Pradesh व भारत सरकार से संस्कृति मंत्री के उपस्थित होने की उम्मीद है। करीब 7 देशों के प्रतिनिधियों को भी इसमें बुलाया जाएगा और अलग-अलग सत्रों मे विमर्श किया जाएगा। कुलपति सचिवालय में इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन के सलाहकार राजेश कुमार रैना के साथ हुई Meeting के दौरान कुलपति ने इस आयोजन पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, फरवरी 2023 में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय व इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगे। लगभग सात देशों से जिनके साथ हम बुद्धिस्ट रिलेशन प्रोमोट करना चाहते हैं, के प्रतिनिधियों को भी इसमें बुलाया जाएगा। 1st Day उद्घाटन सत्र होगा उसके बाद तकनीकी सत्र होंगे। अगले दिन खुला सत्र रहेगा, जिसमें विचार-विमर्श किया जाएगा। समापन सत्र में एक संस्तुति पत्र तैयार किया जाएगा और प्रस्ताव को Government of India को लागू करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। 
कुलपति Prof Bansal के अनुसार निश्चित तौर पर यह एक मील का पत्थर साबित होगा और टूरिज्म प्रोमोशन के साथ-साथ बुद्धिस्ट सर्कल व बुद्धिस्ट कल्चर प्रोमेशन के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा। इसके साथ ही University ने भी तय किया है कि, हम तिब्बत केंद्र के साथ-साथ बुद्धिज्‍़म का कोर्स शुरू करने के लिए तिब्बत एजुकेशन के साथ सहयोग करेंगे। इस मौके पर तिब्बत के निर्वासित Prisident पेंपा सेरिंग ने कहा कि, आज का कार्यक्रम केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर रहे चुके कुलदीप चंद अग्निहोत्री के लिए है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समाज सेवा में लगा दी। उन्होंने कहा कि, प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने जीवन के दौरान तिब्बत के विषय पर भी काफी काम किया है। उन्होंने कहा कि, ज्यादातर तिब्बतियों का जन्म भी धर्मशाला में ही हुआ है। सेरिंग ने कहा कि, 8वी सदी में जितने भी संस्कृत के शब्द थे, उन सबको तिब्बती भाषा मे बदला गया हैं।


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