शिरगुल महाराज मंदिर मे काफी अरसे से कमलानंद ब्रह्मचारी कर रहे हैं तपस्या
चोटी पर 36 साल बाद हुआ इतना ज्यादा Snowfall
प्रशासन ने अगले माह तक यात्रा पर लगाई रोक
बैशाखी पर खुलते हैं Choordhar मंदिर के कपाट
(File Photo)
जिला सिरमौर के नागरिक उपमंडल संगड़ाह तथा शिमला के चौपाल Sub-Division के अंतर्गत आने वाले शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार में इन दिनों 15 फुट बर्फ के बीच एक सन्यासी नियमित रूप से देवता की पूजा-अर्चना जारी रखे हुए हैं। 0 Degree centigrade से कम Temperature व बर्फ से दबे आवास में जहां आम आदमी एक दिन भी रहना पसंद नहीं करेगा, वहीं चूड़धार मंदिर के महंत कमलानंद ब्रह्मचारी हर वर्ष करीब 6 माह तक ऐसी परिस्थितियों में पूजा-पाठ अथवा तपस्या जारी रखते हैं।प्राचीन हिंदू ग्रंथों में हालांकि बर्फ, आग व घनघोर जंगलों के बीच कठिन तपस्या का जिक्र मिलना आम बात है, मगर आज के दौर में आधुनिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर ऐसी वीरान जगह पर ईश्वर की आराधना करने वाले संन्यासी अथवा लोग मिलना आसान नहीं है। पिछले करीब एक दशक से 6 माह तक बर्फ से ढकी रहने वाली समुद्र तल से लगभग 11,900 फुट ऊंची Churdhar चोटी पर उक्त सन्यासी लगातार तपस्या जारी रखे हुए हैं। इससे पहले उनके गुरु श्यामानंद ब्रह्मचारी सर्दियों में कईं foot बर्फ के बीच यहां रहते थे।
साल में आधा समय तक Snow covered रहने वाले इस मंदिर में अक्टूबर के मध्य पहला हिमपात होते ही मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, जो परंपरा के अनुसार वैशाखी के दिन पोल पूजन के बाद खुलते हैं। 14 अप्रैल को Kapat अथवा द्वार खुलने के एक माह बाद आने वाली सक्रांति से यहां चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा अगले पांच माह तक लगातार चलने वाले भंडारे का आयोजन किया जाता है तथा यात्रियों के लिए कंबल व बिस्तर आदि की भी व्यवस्था की जाती है। क्षेत्रवासियों व सेवा समिति पदाधिकारियों के अनुसार इस बार Snowfall ने चूड़धार में करीब 36 वर्ष पुराना Record तोड़ दिया तथा 1983 के बाद यहां पहली बार यहां इतना ज्यादा हिमपात हुआ।
चूड़धार पर्वत श्रृंखला पर इस बार अब तक 11 मर्तबा भारी अथवा दिन में एक फुट से ज्यादा बर्फ पड़ चुकी है। 55 वर्ग किलोमीटर में फैले चूड़धार Wildlife sanctuary area के रास्ते में कहीं भी Rescue camp, Medical facility तथा ठहरने की व्यवस्था न होने के चलते SDM संगड़ाह तथा चौपाल अथवा सिरमौर व शिमला District administration द्वारा इन दिनों मंदिर जाने पर रोक लगाई गई है। गत 9 फरवरी को पंजाब से आए 8 सदस्सीय दल को भी Sangrah Police अथवा प्रशासन ने चूड़धार पहुंचने से पहले वापस भेज दिया था। उक्त दल में एवरेस्ट पर चढ़ने का दावा करने वाले पंजाब पुलिस के एक SI अथवा professional tracker भी शामिल थे।
चूड़धार पर्वत श्रृंखला पर इस बार अब तक 11 मर्तबा भारी अथवा दिन में एक फुट से ज्यादा बर्फ पड़ चुकी है। 55 वर्ग किलोमीटर में फैले चूड़धार Wildlife sanctuary area के रास्ते में कहीं भी Rescue camp, Medical facility तथा ठहरने की व्यवस्था न होने के चलते SDM संगड़ाह तथा चौपाल अथवा सिरमौर व शिमला District administration द्वारा इन दिनों मंदिर जाने पर रोक लगाई गई है। गत 9 फरवरी को पंजाब से आए 8 सदस्सीय दल को भी Sangrah Police अथवा प्रशासन ने चूड़धार पहुंचने से पहले वापस भेज दिया था। उक्त दल में एवरेस्ट पर चढ़ने का दावा करने वाले पंजाब पुलिस के एक SI अथवा professional tracker भी शामिल थे।
(Shruti File Photo)
गत वर्ष 2, जुलाई को उक्त जंगल में गायब हुई छः वर्षीय श्रुति को पुलिस, प्रशासन अथवा Himachal Government जिन्दा ढूंढने में नाकाम रहे। साढ़े तीन माह बाद 19, अक्टूबर, 2018 को उक्त मासूम का मृत शरीर उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले चूड़धार के वन में रोंडी नामक स्थान के समीप भेड़ पालकों द्वारा देखे जाने के बाद बरामद हो सका। कईं बार श्रृंखला के बर्फ से ढके रहने के दौरान यहां अप्रीय घटनाएं अथवा यात्रियों की मौत हो चुकी है, जिसके चलते प्रशासन द्वारा द्वारा कपाट बंद होने के दौरान यहां यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाता है। मंदिर के द्वार खुलने के दौरान यहां अप्रीय घटना घटित होने का जिक्र नहीं मिलता।
गत सप्ताह मौसम साफ रहने के बाद सोमवार से बुधवार तक एक बार फिर Churdhar peak पर रुक रुक कर Snowfall का दौर चलता रहा। बर्फ से ढकी चोटी पर गत पांच माह से अकेले शिरगुल देवता अथवा भगवान शिव की तपस्या में लीन कमलानंद ब्रह्मचारी के अनुसार बीच-बीच में कईं बार उनके शिष्य भी उनके साथ रहते हैं। चोटी पर अभी मौसम साफ नहीं हुआ है तथा आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के द्वार बैशाखी के दिन खुलेंगे।
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