सशस्त्र प्रर्दशन के साथ हीड़ा में संपन्न हुआ ठारी माता शांत अनुष्ठान

चौपाल के ठुंडना में ठुंडू बिरादरी ने किया ठारी महापूजन
 35 साल बाद ठारी Temple हीड़ा मे पाशी खेमे के 10,000 ग्रामीणों ने दिखाई ताकत
 शिमला जिला के कुपवी इलाके के हीड़ा-भेलावण गांव में आयोजित तीन दिवसीय ठारी माता शांत अनुष्ठान Armed प्रर्दशन तथा बुरी शक्तियों को गांव से बाहर निकलकर संपन्न हुआ। मां दुर्गा का स्वरूप समझी जाने वाली ठारी माता के गुर के निर्देशानुसार Closing ceremony के दौरान बुरी शक्तियों को गांव से निकालकर हेड़ा Village के बाहर सुतेवड़ी कहलाने वाली रक्षा डोर बांध दी गई है। 

 इस दौरान मौजूद 25 गांव के लोगों द्वारा डांगरा, तलवार, बंदूक व धनुष-बाण आदि अस्त्र शस्त्र के साथ शक्ति प्रदर्शन भी किया गया। ठारी माता के विशेष शांत अनुष्ठान के लिए 35 साल बाद सिरमौर व शिमला District के 25 गांव के पाशी खेमे के लोग शुक्रवार को हीड़ा गांव पहुंचे थे तथा रविवार को सभी अपने गांवों के लिए वापस रवाना हुए। इस अनुष्ठान में शामिल दस हजार के करीब सनपालटा Community के लोगों ने इस दौरान बिरादरी की बेहतरी, सामाजिक कुरीतियां त्यागने तथा अपनी लोक संस्कृति के संरक्षण की भी शपथ ली। 

 हीड़ा-भेलावण गांव को अपना मूल निवास स्थान बताने वाले जिला सिरमौर के Civil Subdivision संगड़ाह, नाहन व शिलाई के अंतर्गत आने वाले गांव घाटों, गनोग, देवना, बांदल, द्राबिल, भेनू, श्रीक्यारी व नैणीधार आदि के सैकड़ों लोगों सहित मेजवान शिमला जिला के दर्जन भर से अधिक गांव के लोग भी ठारी महायज्ञ में शामिल हुए। Traditional Musical instruments दमेनू, शहनाई, ढोल व नगाड़े तथा डांगरा, तलवार, बंदूक व धनुष-बाण जैसे Arms के साथ पाशी खेमे के लोगों द्वारा तीन दिवसीय इस आयोजन के दौरान बीशु अथवा हाका नृत्य भी किया गया। कुलदेवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए सदियों से Greater सिरमौर व शिमला में होने वाले इस तरह के अनुष्ठानों के दौरान अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए शाठी व पाशी खेमे के लोगों द्वारा शक्ति प्रदर्शन भी किए जाते हैं। अनुष्ठान में आम लोगों के अलावा 25 गांव के कईं जनप्रतिनिधी अथवा Politicians व बड़े अधिकारी जैसे कईं गणमान्य व्यक्ति भी शरीक हुए।
  
उधर समूचे क्षेत्र और बिरादरी की मंगल कामना के साथ शिमला जिला के चौपाल उपमण्डल के ठुंडंना गांव में माता श्री ठारी देवी के शांत महायज्ञ की आज शुरूआत हुई। माता की आराधना का यह महोत्सव अगले तीन दिनों तक, यानि 19 तारीख तक चलेगा। महोत्सव की खासियत यह है कि इसमें सिर्फ ठुंडू बिरादरी के ही लोगों को शामिल होने की इजाजत है।किसी भी और बिरादरी के लोग इस महोत्सव में शामिल नहीँ हो सकते। न ही तीन दिनों तक किसी अन्य बिरादरी के लोगों को ठुंडंना गांव में प्रवेश की अनुमति होगी। यहां केवल ठुन्डू बिरादरी के लोग ही प्रवेश कर पाएंगे। चौपाल के ठुंडंना गांव में यह महोत्सव 12 वर्ष बाद मनाया जा रहा है और इसके बाद अगले 12 वर्ष बाद फिर से मनाया जाएगा। इसलिए इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। आज ठुन्डू बिरादरी के लोग एक स्थान एकत्रित होंगे जिसस पूरे इलाके में बिरादरी की एकता व भाईचारे को प्रदर्शित करेगा। साथ में अपने पुश्तैनी या पूजा स्थान वाले अस्त्र-शस्त्र (डागंरा, तलवार, बरछी) व ढोल-नगाड़े भी साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। इस अवसर पर जनसमूह ने परंपरागत गायन के माध्यम से देवी की आराधना की और नाच गाकर देवी आराधना के इस अनोखे पर्व की शुरुआत की। शस्त्रों के साथ पारंपरिक गायन के माध्यम से अगले 3 दिनों तक इसी तरह समारोह मनाया जाएगा और देवी माता ठारी देवी की पूजा आराधना की जाएगी।

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