Facebook व WhatsApp पर लग रही शानदार बकरों की बोली
पारम्परिक माघी उत्सव के दौरान गिरिपार में कटते हैं 40 हजार बकरेसिरमौर जनपद के प्राचीन Festivals में शामिल माघी पर्व के लिए इस बार Social Media अथवा आधुनिक माध्यमों से बकरों की खरीद-फरोख्त शुरू होना चर्चाओं में है। Facebook तथा WhatsApp पर उक्त त्यौहार के लिए बकरों की खरीदारी अथवा Advertisement का दौर इन दिनों जोरों पर हैं। कुछ लोग जहां अपने बड़े अथवा शानदार Goats को बेचने के लिए इनके Photos तथा खूबियां shere कर खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं, वहीं खरीदार भी सोशल मीडिया के माध्यम से बकरा व्यापारियों से contact कर रहे हैं। उक्त पर्व को लेकर Social Media पर शुभकामनाएं दिए जाने का दौर हालांकि पिछले 4-5 साल से जारी है, मगर इस बार बकरों के खरीदने व बेचने का सिलसिला शुरू होना चर्चाओं में है। करीब अढ़ाई लाख की आबादी वाले Greater Sirmour से संबंध रखने वाले कईं लोगों के Facebook account तथा व्हाट्सएप Status पर भी इन दिनों बकरों की तस्वीरें देखी जा रही है।
सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व Traditions को संजोए रखने के लिए मशहूर करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र के बाशिंदे इन दिनों साल के सबसे खर्चीले व Glorious कहलाने वाले माघी त्यौहार की तैयारियों मे जुट गए हैं। Snow अथवा कड़ाके की ठंड से प्रभावित रहने वाली गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर की विभिन्न पंचायतों मे हालांकि दिसंबर माह की शुरुआत से ही मांसाहारी लोग अन्य दिनों से ज्यादा Meet खाना शुरु कर देते हैं, मगर 10 January से शुरू होने वाले चार दिवसीय माघी Festival के दौरान क्षेत्र की लगभग सभी 130 पंचायतों में बकरे काटे जाने की परंपरा भी अब तक कायम है। गिरिपार के अंतर्गत आने वाले विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ मे हालांकि 95 फीसदी के करीब किसान परिवार पशु पालते हैं मगर पिछले चार दशकों मे area के Youth का रुझान Government Job, नकदी फसलों व Business की और बढ़ने से क्षेत्र मे बकरियों को पालने का चलन घटा है। गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर मे इन दिनों Local बकरों की कमी के चलते क्षेत्रवासी देश की बड़ी मंडियों से बकरे खरीदते हैं। क्षेत्र मे मीट का कारोबार करने वाले व्यापारी इन दिनों राजस्थान, सहारनपुर, नोएडा व देहरादून आदि मंडियों से क्षेत्र में बड़े-बड़े बकरे उपलब्ध करवा रहे हैं। बाहर से लाए गए बकरों की तस्वीरें भी Social Media पर बखूबी शेयर हो रही है। Pick-Up जैसे छोटे भारवाहक वाहनों के अलावा क्षेत्र में चलने वाली Buses के अंदर भी इन दिनों लोग बकरे ले जाते देखे जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों मे इलाके के डेढ़ दर्जन के करीब गांव मे लोग बकरे काटने की परंपरा छोड़ चुके हैं तथा Vegetarian परिवारों की संख्या भी बड़ी है। इसके बावजूद माघी त्यौहार मे हर घर मे बकरा काटने की परंपरा अब भी 90 फीसदी गांव मे कायम है।
चार दिन चलता है Maghi Festival
चार दिन तक चलने वाले माघी Festival को खड़ीआंटी अथवा अस्कांटी, डिमलांटी अथवा घेडांटी, उतरान्टी अथवा होथका व संक्रान्ति अथवा साजा आदि नामों से चार दिन तक मनाया जाता है। क्षेत्र के विभिन्न NGOs के सर्वेक्षण के मुताबिक गिरीपार मे लोहड़ी के दौरान मनाए जाने वाले माघी त्यौहार पर हर वर्ष करीब 40,000 बकरे कटते हैं तथा एक बकरे की औसत कीमत 15000 रखे जाने पर इस त्यौहार के दौरान यहां करीब 60 करोड़ रुपए के बकरे कटेंगे। महंगे बकरे खरीदने मे अक्षम व अपनी Goats न पालने वाले कुछ लोग मीट की दुकानों से Fresh Meet लाकर भी इस त्योहार को मनाने लगे हैं। क्षेत्र मे माघी पर कटने वाले बकरे का मीट हल्दी, नमक व धूंए से परंपरागत ढंग से संरक्षित किया जाता है तथा अधिकतर लोग इसे फ्रिज की वजाय कम Temperature वाली जगह मे सुखाकर पूरे माघ महीने खाते है। क्षेत्र की कुछ सुधारवादी संगठनों द्वारा हालांकि इस त्यौहार अथवा परंपरा को समाप्त करने की कोशिश भी गत दो दशकों से की जा रही है, मगर अधिकतर लोग जिला के इस ठंडे इलाके में सर्दियों में मीट खाना Health के लिए लाभदायक होने का तर्क देकर इसे बंद करने के पक्ष में नहीं है।
पारम्परिक व्यंजन तैयार करने में जुटी महिलाएं
बकरों की खरीदारी के साथ-साथ माघ में Guest को दिए जाने वाले विशेष पारम्परिक व्यंजन मूड़ा के लिए भी गैंहू, चावल, चौलाई, अखरोट, भांग बीज, सूखे मेवों व तिल आदि को तैयार करने में भी Womans व्यस्त हो गई है। साल के सबसे शाही व खर्चीले कहलाने वाले माघी त्यौहार के बाद पूरे माघ Month अथवा फरवरी के मध्य तक क्षेत्र में Festival season अथवा मेहमान नवाजी का दौर चलता है। इस दौरान Non vegetarian लोगों को जहां डोली, खोबले, राढ़ मीट, सालना व सिड़कू आदि पारंपरिक सिरमौरी व्यंजन परोसे जाते हैं, वहीं वेजीटेरियन गेस्ट के लिए धोरोटी, मूड़ा, पूड़े, पटांडे, सीड़ो व तेलपाकी आदि घी के साथ खाए जाने वाले पकवान बनाए जाते हैं। माघ मास के दौरान विशेष दिनों में नाटी Folk Dance होने तथा शाकाहारी लोगों द्वारा महीने भर स्नान किए जाने की परम्परा भी कायम है। बहरहाल क्षेत्र मे माघी त्यौहार के लिए बकरों की खरीदारी का दौर जोरों पर है तथा इस बार बकरों की बोली Social Media पर लगना चर्चा में है।
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