छोटे वाहनों के लिए खुला संगड़ाह-हरिपुरधार-चौपाल Road
7 JCB की मदद से बर्फ हटाने का कार्य जारी
सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह की 21 पंचायतों में बुधवार को हुए भारी Snowfall के बाद रात के समय मौसम लगातार साफ रहने से पाला अथवा कोहरा जमने से सख्त हो चुकी बर्फ को JCB मशीनों से हटाना आसान नहीं था। गत रात्रि Cloud छाए रहने के चलते बर्फ की ऊपरी सतह नर्म पड़ गई, जिसके चलते रविवार को यातायात बहाल करने के काम में तेजी आई। HP PWD द्वारा रविवार को संगड़ाह-चौपाल मार्ग पर हरिपुरधार तक Light Motor vehicles के लिए यातायात बहाल किया जा चुका है, हालांकि उक्त मार्ग पर बड़े वाहन व Buses नही जा सक रहे हैं। रविवार को खबर लिखे जाने तक संगड़ाह-गत्ताधार तथा संगड़ाह-चौपाल बस सेवा बहाल नहीं हो सकी थी।
लोक निर्माण विभाग द्वारा जिन आधा दर्जन Roads पर जेसीबी मशीनों से बर्फ हटाने की बात कही गई है, उनमें से भी कुछ पर रविवार तक HRTC की बसें नहीं गई। चालक-परिचालक व संबंधित कर्मी कीचड़ अथवा पाला होने की बात कहकर बसें नहीं ले जा रहे हैं। विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह ने बताया कि, संगड़ाह-हरिपुरधार मार्ग से बर्फ हटाई जा चुकी है तथा इस पर छोटी गाड़ियां चल पड़ी है। उन्होंने कहा कि, सात JCB machines की मदद से बर्फ पूरी तरह से बर्फ हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
Snowfall के 5 दिन बाद भी संगड़ाह में पेयजल आपूर्ति ठप
कईं गांवों में विद्युत व यातायात व्यवस्था बंद
खोखले साबित हो रहे हैं Administration मूलभूत सुविधाएं बहाल करने के दावे
Heavy Snowfall के पांच दिन बाद भी संगड़ाह Town की दोनों पेयजल योजनाएं बंद होने से लोग बूंद-बूंद के लिए मोहताज हो गए है। संबंधित अधिकारियों के अनुसार करीब 5000 की आबादी को Drinking Water supply करवाने वाली लजवा-संगड़ाह पेयजल योजना जहां भारी हिमपात के चलते बंद हुई, वहीं पुरानी Lift Scheme बिजली न होने से बंद रही। उपमंडल संगड़ाह के डेढ़ दर्जन गांवों में पांचवें दिन भी Electricity व Transport व्यवस्था बहाल नहीं हो सकी। रविवार को संबंधित Officers के कईं कर्मचारी व अधिकारी छुट्टी पर होने से राहत कार्यों की गति धीमी पड़ गई। संगड़ाह-चौपाल Road पर हांलांकि हरिपुरधार तक छोटी गाड़ियां चल पड़ी है, मगर संगड़ाह-गत्ताधार सड़क को छोटे वाहनों के लिए भी नही खोला जा सका है। सिरमौर District Administration के दावों के बावजूद पांच दिन बाद भी area में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है तथा संबंधित विभाग के कर्मचारी साधनों के अभाव की बात कह रहे हैं। बर्फ से प्रभावित उपमंडल के सैंज, टुहेरी, शिवपुर, अरट, टिक्कर, जबड़ोग, सांगना, सताहन, भलाड़, कजवा व खड़ाह आदि में रविवार सायं खबर लिखे जाने तक पांचवें दिन बाद भी विद्युत आपूर्ति बंद रही। सड़कें बंद होने के चलते कईं गांवों का संपर्क उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह तथा शेष दुनिया से कट चुका है। Power supply ठप होने से बर्फीली ठंड में लोग हीटर से भी वंचित है तथा Mobile charge करने के लिए 10 से 20 Kilometer की दूरी तय कर संगड़ाह पंहुच रहे हैं। Subdivision Headquarter Sangrah सहित बर्फ से प्रभावित कईं अन्य गांव में पांच दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप्प है। सांगना, सताहन, भलाड़, कजवा व भलौना आदि गांवों के लोगों को बस सुविधा के लिए 30 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ रही है। क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने सिरमौर जिला प्रशासन व Government of Himachal Pradesh से इलाके में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करने की appeal की। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह ने कहा कि, बर्फ हटाने के लिए सात JCB मशीनों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि, संगड़ाह-राजगढ़ तथा नौहराधार-हरिपुरधार सड़कों पर यातायात बहाल हो चुका है तथा रविवार को संगड़ाह-चौपाल मार्ग पर भी हरिपुरधार तक छोटी गाड़ियां चल पड़ी है। विद्युत विभाग के संबंधित अधिकारियों के अनुसार बर्फ से सड़कें बंद होने तथा साधनों के अभाव में लाईन ठीक करने में ज्यादा समय लग रहा है तथा ठेकेदार के माध्यम से अतिरिक्त मजदूरों की व्यवस्था कर अधिकतर गांवों में विद्युत आपूर्ति बहाल की जा चुकी है। IPH के सहायक अभियंता संगड़ाह अनिल कुमार व JE संतोष शर्मा ने कहा कि, लजवा-संगड़ाह पेयजल योजना की मेन लाइन की मुरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि, पुरानी उठाऊ पेयजल योजना भी चालू हो चुकी है तथा कल सोमवार को पेयजल आपूर्ति बहाल की जाएगी। बहरहाल सफेद आफत से 80 हजार की आबादी वाले विकास खंड संगड़ाह में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
संगड़ाह-शिवपुर road पर Truck फंसने से घंटों लगा जाम
पुलिस ने वाहन अधिनियम की अवहेलना पर किए 26 के चालान
भारी Snowfall के चलते संगड़ाह-चौपाल मार्ग पांच दिन से बंद होने के चलते नौहराधार, भवाही व हरिपुरधार इलाके के लोगों व Tourests द्वारा वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल की जा रही संगड़ाह-शिवपुर सड़क पर दो ट्रक फंसने से रविवार को दर्जनों वाहन जाम में फंसे रहे। उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से नौहराधार, शिवपुर, चाढ़ना, भवाही व घंडूरी आदि पंचायतों को जोड़ने वाली उक्त सड़क पर शनिवार को फंसे टिप्पर को हालांकि लोक निर्माण विभाग द्वारा JCB मशीन की मदद से हटाकर छोटे वाहनों के लिए सड़क खोली जा चुकी थी, मगर रविवार दोपहर एक अन्य Truck इसी जगह से निकलने की कोशिश में फंस गया। उक्त ट्रक का Driver वाहन वहीं छोड़ कहीं निकल गया तथा खबर लिखे जाने तक ट्रक मालिक व Police प्रशासन द्वारा भी उक्त मार्ग की सुध नहीं ली गई थी। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने कहा कि, शिवपुर मार्ग से बर्फ हटाई जा चुकी है तथा यहां फंसे ट्रकों को निकालने की जिम्मेदारी वाहन मालिकों की है। उन्होंने कहा कि, शनिवार को सांय फंसे Truck को हालांकि जेसीबी से हटा दिया था, मगर तकनीकी खराबी के चलते चालक द्वारा उसे वहां से नही ले जाया गया। रविवार को छोटे वाहनों के लिए खुले संगड़ाह-हरिपुरधार मार्ग पर जाम लगने का कारण उन्होंने हरियाणा व पंजाब से बर्फ देखने आए लोगों की गाड़ियां बेतरतीब ढंग से खड़ी होना व लापरवाही से चलाना बताया। DSP संगड़ाह अनिल धौलटा ने बताया कि, यातायात नियमों की अवहेलना करने पर रविवार को 26 तथा शनिवार को 11 वाहनों के चालान किए गए। उन्होंने कहा कि, बर्फीली सड़कों पर Driving न कर सकने वाले पड़ोसी राज्यों के चालकों से सावधानी से चलने की अपील भी की जा रही है।
गिरिपार का सबसे खर्चीला माघी त्यौहार शुरू
शाही कहलाने वाले माघी पर कटते हैं 40 हजार बकरे
पारम्परिक व्यंजनों की महम
सिरमौर जिला की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व Traditions को संजोए रखने के लिए मशहूर करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र का सबसे खर्चीला व शाही कहलाने वाले माघी त्यौहार शुरू हो चुका है। बर्फ अथवा कड़ाके की ठंड से प्रभावित रहने वाली Greater Sirmour की विभिन्न पंचायतों मे हालांकि दिसंबर माह की शुरुआत से ही मांसाहारी लोग अन्य दिनों से ज्यादा मीट खाना शुरु कर देते हैं, मगर 10 से 13 जनवरी तक चलने वाले माघी त्यौहार के दौरान क्षेत्र की लगभग सभी 130 पंचायतों के मांसाहारी परिवारों द्वारा बकरे काटे जाने की परंपरा भी अब तक कायम है। सर्दियों के तीन महीनों के लिए क्षेत्रवासी खेचियारे, भुआरे, घोसारे अथवा हेला कही जाने वाली परम्परा के मुताबिक पशु चारा व खाद्य सामग्री का भंडारण कर लेते हैं। सामूहिक भागीदारी अथवा श्रमदान की यह परम्परा ग्रेटर सिरमौर में आज भी कायम है।
गिरिपार के अंतर्गत आने वाले सिरमौर जिला के विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ मे हालांकि 95 फीसदी के करीब किसान परिवार पशु पालते हैं मगर पिछले चार दशकों मे इलाके के युवाओं का रुझान सरकारी नौकरी, नकदी फसलों व Business की और बढ़ने से क्षेत्र मे बकरियों को पालने का चलन घटा है। गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर मे इन दिनों लोकल बकरों की कमी के चलते क्षेत्रवासी देश की बड़ी मंडियों से बकरे खरीदते हैं। क्षेत्र मे मीट का कारोबार करने वाले व्यापारियों द्वारा इस बार राजस्थान, सहारनपुर, नोएडा व देहरादून आदि मंडियों से क्षेत्र में बड़े-बड़े बकरे उपलब्ध करवाए गए। पिछले कुछ वर्षों मे इलाके के डेढ़ दर्जन के करीब गांव मे लोग बकरे काटने की परंपरा छोड़ चुके हैं तथा शाकाहारी परिवारों की संख्या भी बड़ी है। इसके बावजूद माघी त्यौहार मे हर घर मे बकरा काटने की परंपरा अब भी 90 फीसदी गांव मे कायम है। ग्रेटर सिरमौर की 130 के करीब पंचायतों मे साल के सबसे शाही व खर्चीले कहे जाने वाले इस त्यौहार के दौरान हर पंचायत मे औसतन सवा तीन सौ के करीब बकरे कटते हैं। इस त्यौहार को खड़ीआंटी अथवा अस्कांटी, डिमलांटी, उतरान्टी अथवा होथका व साजा आदि नामों से चार दिन तक मनाया जाता है। उपमंडल शिलाई के अधिकतर हिस्सों में जहां रविवार को बकरे काटे गए, वहीं संगड़ाह में आज सोमवार को बकरे कटेंगे। क्षेत्र के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के सर्वेक्षण के मुताबिक गिरीपार मे लोहड़ी के दौरान मनाए जाने वाले Maghi Festival पर हर वर्ष करीब 40000 Goats कटते हैं तथा एक बकरे की औसत कीमत 15000 रखे जाने पर इस त्यौहार के दौरान यहां करीब 60 करोड़ रुपए के बकरे कटेंगे। महंगे बकरे खरीदने मे अक्षम व अपनी बकरियां न पालने वाले कुछ लोग Meet Shops से ताजा मीट लाकर इस त्योहार को मनाने लगे हैं। क्षेत्र मे माघी पर कटने वाले बकरे का मीट हल्दी, नमक व धूंए से परंपरागत ढंग से संरक्षित किया जाता है तथा अधिकतर लोग इसे फ्रिज की वजाय कम तापमान वाली जगह मे सुखाकर पूरे माघ महीने खाते है। क्षेत्र की कुछ सुधारवादी संगठनों द्वारा हालांकि इस त्यौहार अथवा परंपरा को समाप्त करने की कोशिश भी गत दो दशकों से की जा रही है, मगर अधिकतर लोग जिला के इस ठंडे इलाके में सर्दियों में मीट खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने का तर्क देकर इसे बंद करने के पक्ष में नहीं है। बकरों की खरीदारी के अलावा माघ में मेहमानों को दिए जाने वाले विशेष पारम्परिक व्यंजन मूड़ा के लिए भी गैंहू, चावल, चौलाई, अखरोट, भांग बीज, सूखे मेवों व तिल आदि को तैयार करने में भी महिलाएं व्यस्त हो गई है। साल के सबसे शाही व खर्चीले कहलाने वाले माघी त्यौहार के बाद पूरे माघ मास अथवा फरवरी के मध्य तक क्षेत्र में मेहमान नवाजी का दौर चलता है। इस दौरान मांसाहारी लोगों को जहां डोली, खोबले, राढ़ मीट, सालना व सिड़कू आदि पारंपरिक सिरमौरी व्यंजन परोसे जाते हैं, वहीं शाकाहारी Guest के लिए धोरोटी, मूड़ा, पूड़े, पटांडे, सीड़ो व तेलपाकी आदि घी के साथ खाए जाने वाले पकवान बनाए जाते हैं। बहरहाल क्षेत्र का सबसे खर्चीला माघी Festival शनिवार से शुरू हो चुका है।
7 JCB की मदद से बर्फ हटाने का कार्य जारी
सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह की 21 पंचायतों में बुधवार को हुए भारी Snowfall के बाद रात के समय मौसम लगातार साफ रहने से पाला अथवा कोहरा जमने से सख्त हो चुकी बर्फ को JCB मशीनों से हटाना आसान नहीं था। गत रात्रि Cloud छाए रहने के चलते बर्फ की ऊपरी सतह नर्म पड़ गई, जिसके चलते रविवार को यातायात बहाल करने के काम में तेजी आई। HP PWD द्वारा रविवार को संगड़ाह-चौपाल मार्ग पर हरिपुरधार तक Light Motor vehicles के लिए यातायात बहाल किया जा चुका है, हालांकि उक्त मार्ग पर बड़े वाहन व Buses नही जा सक रहे हैं। रविवार को खबर लिखे जाने तक संगड़ाह-गत्ताधार तथा संगड़ाह-चौपाल बस सेवा बहाल नहीं हो सकी थी।
लोक निर्माण विभाग द्वारा जिन आधा दर्जन Roads पर जेसीबी मशीनों से बर्फ हटाने की बात कही गई है, उनमें से भी कुछ पर रविवार तक HRTC की बसें नहीं गई। चालक-परिचालक व संबंधित कर्मी कीचड़ अथवा पाला होने की बात कहकर बसें नहीं ले जा रहे हैं। विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह ने बताया कि, संगड़ाह-हरिपुरधार मार्ग से बर्फ हटाई जा चुकी है तथा इस पर छोटी गाड़ियां चल पड़ी है। उन्होंने कहा कि, सात JCB machines की मदद से बर्फ पूरी तरह से बर्फ हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
Snowfall के 5 दिन बाद भी संगड़ाह में पेयजल आपूर्ति ठप
कईं गांवों में विद्युत व यातायात व्यवस्था बंद
खोखले साबित हो रहे हैं Administration मूलभूत सुविधाएं बहाल करने के दावे
Heavy Snowfall के पांच दिन बाद भी संगड़ाह Town की दोनों पेयजल योजनाएं बंद होने से लोग बूंद-बूंद के लिए मोहताज हो गए है। संबंधित अधिकारियों के अनुसार करीब 5000 की आबादी को Drinking Water supply करवाने वाली लजवा-संगड़ाह पेयजल योजना जहां भारी हिमपात के चलते बंद हुई, वहीं पुरानी Lift Scheme बिजली न होने से बंद रही। उपमंडल संगड़ाह के डेढ़ दर्जन गांवों में पांचवें दिन भी Electricity व Transport व्यवस्था बहाल नहीं हो सकी। रविवार को संबंधित Officers के कईं कर्मचारी व अधिकारी छुट्टी पर होने से राहत कार्यों की गति धीमी पड़ गई। संगड़ाह-चौपाल Road पर हांलांकि हरिपुरधार तक छोटी गाड़ियां चल पड़ी है, मगर संगड़ाह-गत्ताधार सड़क को छोटे वाहनों के लिए भी नही खोला जा सका है। सिरमौर District Administration के दावों के बावजूद पांच दिन बाद भी area में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है तथा संबंधित विभाग के कर्मचारी साधनों के अभाव की बात कह रहे हैं। बर्फ से प्रभावित उपमंडल के सैंज, टुहेरी, शिवपुर, अरट, टिक्कर, जबड़ोग, सांगना, सताहन, भलाड़, कजवा व खड़ाह आदि में रविवार सायं खबर लिखे जाने तक पांचवें दिन बाद भी विद्युत आपूर्ति बंद रही। सड़कें बंद होने के चलते कईं गांवों का संपर्क उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह तथा शेष दुनिया से कट चुका है। Power supply ठप होने से बर्फीली ठंड में लोग हीटर से भी वंचित है तथा Mobile charge करने के लिए 10 से 20 Kilometer की दूरी तय कर संगड़ाह पंहुच रहे हैं। Subdivision Headquarter Sangrah सहित बर्फ से प्रभावित कईं अन्य गांव में पांच दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप्प है। सांगना, सताहन, भलाड़, कजवा व भलौना आदि गांवों के लोगों को बस सुविधा के लिए 30 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ रही है। क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने सिरमौर जिला प्रशासन व Government of Himachal Pradesh से इलाके में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करने की appeal की। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संगड़ाह ने कहा कि, बर्फ हटाने के लिए सात JCB मशीनों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि, संगड़ाह-राजगढ़ तथा नौहराधार-हरिपुरधार सड़कों पर यातायात बहाल हो चुका है तथा रविवार को संगड़ाह-चौपाल मार्ग पर भी हरिपुरधार तक छोटी गाड़ियां चल पड़ी है। विद्युत विभाग के संबंधित अधिकारियों के अनुसार बर्फ से सड़कें बंद होने तथा साधनों के अभाव में लाईन ठीक करने में ज्यादा समय लग रहा है तथा ठेकेदार के माध्यम से अतिरिक्त मजदूरों की व्यवस्था कर अधिकतर गांवों में विद्युत आपूर्ति बहाल की जा चुकी है। IPH के सहायक अभियंता संगड़ाह अनिल कुमार व JE संतोष शर्मा ने कहा कि, लजवा-संगड़ाह पेयजल योजना की मेन लाइन की मुरम्मत का कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि, पुरानी उठाऊ पेयजल योजना भी चालू हो चुकी है तथा कल सोमवार को पेयजल आपूर्ति बहाल की जाएगी। बहरहाल सफेद आफत से 80 हजार की आबादी वाले विकास खंड संगड़ाह में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
संगड़ाह-शिवपुर road पर Truck फंसने से घंटों लगा जाम
पुलिस ने वाहन अधिनियम की अवहेलना पर किए 26 के चालान
भारी Snowfall के चलते संगड़ाह-चौपाल मार्ग पांच दिन से बंद होने के चलते नौहराधार, भवाही व हरिपुरधार इलाके के लोगों व Tourests द्वारा वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल की जा रही संगड़ाह-शिवपुर सड़क पर दो ट्रक फंसने से रविवार को दर्जनों वाहन जाम में फंसे रहे। उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से नौहराधार, शिवपुर, चाढ़ना, भवाही व घंडूरी आदि पंचायतों को जोड़ने वाली उक्त सड़क पर शनिवार को फंसे टिप्पर को हालांकि लोक निर्माण विभाग द्वारा JCB मशीन की मदद से हटाकर छोटे वाहनों के लिए सड़क खोली जा चुकी थी, मगर रविवार दोपहर एक अन्य Truck इसी जगह से निकलने की कोशिश में फंस गया। उक्त ट्रक का Driver वाहन वहीं छोड़ कहीं निकल गया तथा खबर लिखे जाने तक ट्रक मालिक व Police प्रशासन द्वारा भी उक्त मार्ग की सुध नहीं ली गई थी। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने कहा कि, शिवपुर मार्ग से बर्फ हटाई जा चुकी है तथा यहां फंसे ट्रकों को निकालने की जिम्मेदारी वाहन मालिकों की है। उन्होंने कहा कि, शनिवार को सांय फंसे Truck को हालांकि जेसीबी से हटा दिया था, मगर तकनीकी खराबी के चलते चालक द्वारा उसे वहां से नही ले जाया गया। रविवार को छोटे वाहनों के लिए खुले संगड़ाह-हरिपुरधार मार्ग पर जाम लगने का कारण उन्होंने हरियाणा व पंजाब से बर्फ देखने आए लोगों की गाड़ियां बेतरतीब ढंग से खड़ी होना व लापरवाही से चलाना बताया। DSP संगड़ाह अनिल धौलटा ने बताया कि, यातायात नियमों की अवहेलना करने पर रविवार को 26 तथा शनिवार को 11 वाहनों के चालान किए गए। उन्होंने कहा कि, बर्फीली सड़कों पर Driving न कर सकने वाले पड़ोसी राज्यों के चालकों से सावधानी से चलने की अपील भी की जा रही है।
गिरिपार का सबसे खर्चीला माघी त्यौहार शुरू
शाही कहलाने वाले माघी पर कटते हैं 40 हजार बकरे
पारम्परिक व्यंजनों की महम
सिरमौर जिला की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व Traditions को संजोए रखने के लिए मशहूर करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र का सबसे खर्चीला व शाही कहलाने वाले माघी त्यौहार शुरू हो चुका है। बर्फ अथवा कड़ाके की ठंड से प्रभावित रहने वाली Greater Sirmour की विभिन्न पंचायतों मे हालांकि दिसंबर माह की शुरुआत से ही मांसाहारी लोग अन्य दिनों से ज्यादा मीट खाना शुरु कर देते हैं, मगर 10 से 13 जनवरी तक चलने वाले माघी त्यौहार के दौरान क्षेत्र की लगभग सभी 130 पंचायतों के मांसाहारी परिवारों द्वारा बकरे काटे जाने की परंपरा भी अब तक कायम है। सर्दियों के तीन महीनों के लिए क्षेत्रवासी खेचियारे, भुआरे, घोसारे अथवा हेला कही जाने वाली परम्परा के मुताबिक पशु चारा व खाद्य सामग्री का भंडारण कर लेते हैं। सामूहिक भागीदारी अथवा श्रमदान की यह परम्परा ग्रेटर सिरमौर में आज भी कायम है।
गिरिपार के अंतर्गत आने वाले सिरमौर जिला के विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ मे हालांकि 95 फीसदी के करीब किसान परिवार पशु पालते हैं मगर पिछले चार दशकों मे इलाके के युवाओं का रुझान सरकारी नौकरी, नकदी फसलों व Business की और बढ़ने से क्षेत्र मे बकरियों को पालने का चलन घटा है। गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर मे इन दिनों लोकल बकरों की कमी के चलते क्षेत्रवासी देश की बड़ी मंडियों से बकरे खरीदते हैं। क्षेत्र मे मीट का कारोबार करने वाले व्यापारियों द्वारा इस बार राजस्थान, सहारनपुर, नोएडा व देहरादून आदि मंडियों से क्षेत्र में बड़े-बड़े बकरे उपलब्ध करवाए गए। पिछले कुछ वर्षों मे इलाके के डेढ़ दर्जन के करीब गांव मे लोग बकरे काटने की परंपरा छोड़ चुके हैं तथा शाकाहारी परिवारों की संख्या भी बड़ी है। इसके बावजूद माघी त्यौहार मे हर घर मे बकरा काटने की परंपरा अब भी 90 फीसदी गांव मे कायम है। ग्रेटर सिरमौर की 130 के करीब पंचायतों मे साल के सबसे शाही व खर्चीले कहे जाने वाले इस त्यौहार के दौरान हर पंचायत मे औसतन सवा तीन सौ के करीब बकरे कटते हैं। इस त्यौहार को खड़ीआंटी अथवा अस्कांटी, डिमलांटी, उतरान्टी अथवा होथका व साजा आदि नामों से चार दिन तक मनाया जाता है। उपमंडल शिलाई के अधिकतर हिस्सों में जहां रविवार को बकरे काटे गए, वहीं संगड़ाह में आज सोमवार को बकरे कटेंगे। क्षेत्र के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के सर्वेक्षण के मुताबिक गिरीपार मे लोहड़ी के दौरान मनाए जाने वाले Maghi Festival पर हर वर्ष करीब 40000 Goats कटते हैं तथा एक बकरे की औसत कीमत 15000 रखे जाने पर इस त्यौहार के दौरान यहां करीब 60 करोड़ रुपए के बकरे कटेंगे। महंगे बकरे खरीदने मे अक्षम व अपनी बकरियां न पालने वाले कुछ लोग Meet Shops से ताजा मीट लाकर इस त्योहार को मनाने लगे हैं। क्षेत्र मे माघी पर कटने वाले बकरे का मीट हल्दी, नमक व धूंए से परंपरागत ढंग से संरक्षित किया जाता है तथा अधिकतर लोग इसे फ्रिज की वजाय कम तापमान वाली जगह मे सुखाकर पूरे माघ महीने खाते है। क्षेत्र की कुछ सुधारवादी संगठनों द्वारा हालांकि इस त्यौहार अथवा परंपरा को समाप्त करने की कोशिश भी गत दो दशकों से की जा रही है, मगर अधिकतर लोग जिला के इस ठंडे इलाके में सर्दियों में मीट खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने का तर्क देकर इसे बंद करने के पक्ष में नहीं है। बकरों की खरीदारी के अलावा माघ में मेहमानों को दिए जाने वाले विशेष पारम्परिक व्यंजन मूड़ा के लिए भी गैंहू, चावल, चौलाई, अखरोट, भांग बीज, सूखे मेवों व तिल आदि को तैयार करने में भी महिलाएं व्यस्त हो गई है। साल के सबसे शाही व खर्चीले कहलाने वाले माघी त्यौहार के बाद पूरे माघ मास अथवा फरवरी के मध्य तक क्षेत्र में मेहमान नवाजी का दौर चलता है। इस दौरान मांसाहारी लोगों को जहां डोली, खोबले, राढ़ मीट, सालना व सिड़कू आदि पारंपरिक सिरमौरी व्यंजन परोसे जाते हैं, वहीं शाकाहारी Guest के लिए धोरोटी, मूड़ा, पूड़े, पटांडे, सीड़ो व तेलपाकी आदि घी के साथ खाए जाने वाले पकवान बनाए जाते हैं। बहरहाल क्षेत्र का सबसे खर्चीला माघी Festival शनिवार से शुरू हो चुका है।
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