Lock-Down से परेशान नेपाली मजदूर स्वदेश रवाना

दो माह से न ढंग का काम मिल रहा था, न घर जाने की Permission

 संगड़ाह। दो माह से रोजगार व स्वदेश लौटने की अनुमति न मिलने से दुखी: नेपाली मजदूरों का मुद्दा Media उठाए जाने के बाद आखिर शुक्रवार सायं Administration द्वारा उन्हें बहराइच के समीप रुपइडिया Border लिए रवाना किया गया। गुरुवार व शुक्रवार को इस बारे समाचार प्रकाशित हुए थे। BMO संगड़ाह डॉ यशवंत ने बताया कि, इनमे से कुछ की Covid-19 संबंधी random Sampling भी हुई तथा डॉ शैफाली द्वारा निकलने से पहले सभी की स्वास्थय जांच भी की गई। हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग मंडल संगड़ाह के अंतर्गत निर्माणाधीन एक पर काम कर रहे 15 नेपाली मजदूरों को पिछले दो माह से रोटी के भी लाले पड़ गए थे। वर्ष 2019 में वह नेपाल से आए तथा भारत को अपना दूसरा देश बताते थे। 
 चित्र बहादुर, टीकाराम, गोपाल, मन बहादुर व पूर्ण चंद आदि विदेशी मजदूरों ने उन्हें घर भेजने की व्यवस्था करने के लिए हिमाचल व भारत सरकार तथा प्रशासन का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि, बताया कि, पिछले 65 दिनों से न तो उन्हें काम मिल रहा था और न ही अपने देस जाने की अनुमति। नेपाल सरकार से उन्हें किसी भी तरह की मदद अब तक नहीं मिली। मजदूरों के अनुसार ठेकेदार काम बंद अथवा समाप्त होने के चलते उन्हें घर जाने को कह रहा था और लॉक डाउन के चलते उनकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई थी। उन्होंने कहा कि, यूपी के बेहराइच अथवा रूपइडिया Border तक पहुंचाने के लिए Private Bus वाला 80,000 रूपए मांग रहा था तथा मुश्किल से 75 हजार पर राजी हुआ। मजदूरों घर जाने की अनुमति मिलने से उत्साहित हैं तथा उन्होंने PM नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद किया। मजदूरों के अनुसार उनके नेपाल के नंबर भी यहां नहीं चल रहे हैं तथा केवल एक शख्स के पास Indian Sim है। 
 SDM IAS राहुल कुमार ने बताया कि, जिला सिरमौर प्रशासन द्वारा मजदूरों को बहराइच तक जाने के लिए Pass जारी किया गया है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रतन शर्मा ने कहा कि, हालांकि उक्त मजदूरों के लिए नए ठेकेदार के माध्यम से काम अथवा रोजगार की व्यवस्था की गई थी, मगर वह रूकने को राजी नहीं हुए। बहरहाल अपने देश निकलने के दौरान मजदूर काफी उत्साहित नजर आए। 
 लॉकडाउन में बबली ने जन्मा नर Bear

रेणुकाजी चिड़ियाघर में उत्साह का माहौल 
 रेणुकाजी। National Lock-Down के बीच रेणुकाजी चिड़ियाघर के भालू परिवार में एक नए मेहमान के आने से खुशी का माहौल है। Mini Zoo में मौजूद एक मादा Bear ने एक नर शावक को जन्म दिया। नए सदस्य के आने से जू में पलने वाले भालुओं की संख्या बढ़कर फिर से चार हो गई है, जिनमें दो नर हैं। करीब दो वर्ष पूर्व यह रामू नामक एक भालू ने यहां दम तोड़ दिया था। गौरतलब है कि, यहां लंबे अंतराल के बाद जानवरों की वंश वृद्धि के चलते वन्य प्राणी विभाग के कर्मियों व पशु प्रेमियों में उत्साह है। वर्षीय बबली नामक मादा भालू कईं दिनों से बाड़े में स्थापित कृत्रिम गुफा अथवा आइसोलेशन में अपना डेरा जमाए हुए थी। बुधवार को भोजन परोसने के लिए उसे बाहर निकालने का प्रयास किया गया तो मादा भालू अपने एक शावक को भी साथ ले आई। Employees ने शीघ्र ही दोनों को उपचार कक्ष में बंद कर दिया तथा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ और तंदुरुस्त हैं। दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2005 में बबली का जन्म भी रेणुका के इसी बाडे़ में हुआ था। वन्य प्राणी विहार रेणुका के आरओ देवेंद्र सिंह ने भालू के एक शावक का जन्म होने की पुष्टि करते हुए कहा कि, जल्द ही इसका नामकरण किया जाएगा।
 16 लोगों के Covid-19 Sample लिए  

संगड़ाह। स्वास्थ्य खंड संगड़ाह में शुक्रवार को कुल 16 लोगों के कोविड-19 अथवा कोरोना संबंधी सैंपल लिए गए। उक्त सैंपल संगड़ाह स्थित कोविड सैंपलिंग बूथ की वजाय लोगों की सुविधा के अनुसार क्वारेंटाइन सेंटर नौहराधार में लिए गए। दो दिन पहले Covid-19 Sampling Booth संगड़ाह में SDM, Doctors व पत्रकारों सहित 33 की Covid-19 Sampling की गई थी। BMO संगड़ाह डॉ यशवंत ने बताया कि, शुक्रवार को उदयपुर से लौटे एक शख्स सहित संदिग्धों व ज्यादा लोगों के संपर्क में आने वाले स्थानीय दुकानदारों व स्वास्थय तथा पुलिस विभाग के कर्मचारियों के भी सैंपल लिए गए।

बिंदल के समर्थन में उतरे संगड़ाह के भाजपाई

कांग्रेसियों के आरोपों को बताया बेबुनियाद 

संगड़ाह। BJP प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे चुके डॉ राजीव बिंदल के समर्थन में उत्तरे संगड़ाह के भाजपाइयों ने उन पर कांग्रेसियों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद बताया। रेणुकाजी मंडल उपाध्यक्ष विजेंद्र शर्मा व प्रताप चौहान, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रताप तोमर तथा सोम प्रकाश व अनिल भारद्वाज आदि मंडल पदाधिकारियों ने यहां जारी बयान में कहा कि, दरअसल जिला सिरमौर व प्रदेश में अपना जनाधार खो चुके हताश कांग्रेस नेताओं ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए गत सप्ताह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को बदनाम करने की मुहिम शुरू की। राजीव बिंदल से विधानसभा चुनाव हारने वाले एक कांग्रेसी द्वारा दुष्प्रचार की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि, स्वास्थ्य निदेशक के निलंबन अथवा विजिलेंस जांच मामले में बेवजह डॉ राजीव बिंदल का नाम घसीटा जा रहा है, जबकि न तो इस मामले के शिकायतकर्ता ने उनके बारे में कुछ कहा, न ही आरोपी ने कहा और न ही जांच में उनका नाम आया है। भाजपाइयों ने कहा कि, देश व प्रदेश में पार्टी का जनाधार खत्म होता देख जिला सिरमौर व प्रदेश के कांग्रेसी बौखला गए हैं। भाजपाइयों ने कहा कि, छोटी आयु से ही संघ को समर्पित डॉ राजीव बिंदल को सोलन व नाहन में विकास पुरुष के रूप में जाना जाता है।

 खट्टे-मीठे स्वादिष्ट Fruit से लदे काफल के दरख़्त   

ठंड का एहसास देने वाले जंगली फ्रूट का स्वाद नहीं भूलती जुबान 

लॉक डाउन में Tourists न आने से इस बार नहीं बिका काफल 

संगड़ाह। औषधीय गुणों से भरपूर, कईं बीमारियों की रामबाण दवा समझे जाने वाले काफल के पेड़ इन दिनों पककर लाल हो चुके फलों से लद गए हैं। काफल का वैज्ञानिक नाम मेरिका-एस्कुलेंटा है तथा जो शख्स एक बार इसका स्वाद चख लेता है, कभी नहीं भूलता। सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह सहित हिमाचल व उत्तराखंड के कईं Hill areas के समुद्र तल से 5 से 10 हजार फुट ऊंचाई वाले हिमालयई जंगलों मे पाया जाने वाला यह फल इन दिनों लोगों की पहली पसंद बना हुआ हैं। पेड़ पर चढ़ सकने वाले लोग जहां मुफ्त में काफल गटक सकते हैं, वही अन्य लोग सामान्य स्थिति में बाजार से खरीदकर खा सकते हैं। इस बार राष्ट्रीय लॉक डाउन के चलते स्थानीय लोग अथवा सब्जी विक्रेता काफल बेच नहीं सके, क्योंकि तालाबंदी के चलते क्षेत्र में बाहरी राज्यों से सैलानियों की आवाजाही बंद है। स्थानीय लोग खुद पेड़ों से काफल निकालने में सक्षम है। भारत के पहाड़ी राज्यों के अलावा नेपाल व चीन के हिमालय जंगलों में भी काफल पाया जाता है। इसके Tree की ऊंचाई तीस फुट के करीब रहती है तथा तने पर जगह-जगह टहनियां होने के कारण इस पर चढ़ना मुश्किल नही है। संगड़ाह से चौपाल, हरिपुरधार, गत्ताधार, शिलाई, राजगढ़ व नौहराधार की ओर जाने वाली सड़कों के साथ सैंकड़ों हेक्टेयर भूमि पर काफल व बुरास के सदाबहार हिमालयन जंगल मौजूद है। अप्रैल के अंत में स्ट्राबैरी जैसी दिखने वाला यह गुठलीदार फल पकता है तथा मई माह के अंत तक रहता है। सिरमौर के समीपवर्ती सोलन व शिमला जिला के शहरों व कस्बों में काफल कुछ लोगों के लिए सामान्य स्थिति में अंशकालीन आय का साधन भी है। इन दिनों स्कूल व कॉलेज में छुट्टियां होने के चलते छात्र अथवा बच्चे काफल के पेड़ों पर चढ़ते देखे जाते हैं तथा अन्य स्थानीय लोग भी पेड़ों से काफल के बैग भर कर घर भी ले जाते हैं। 

कईं बिमारियों की रामबाण दवा है काफल

क्षेत्र के बुजुर्गों व आयुर्वेदिक औषधियों की जानकारी रखने वाले लोगों की माने तो काफल अथवा मैरिका-एसकुलेंटा खून व हृदय संबंधी बीमारियों के साथ-साथ लू लगने, दस्त तथा चमड़ी के रोगों की भी रामबाण औषधि है। बुजुर्ग, कमजोर तथा बीमार लोगों की रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी यह जंगली फल वरदान समझा जाता है। बहरहाल उपमंडल संगड़ाह व अन्य हिमालयी इलाकों में इन दिनों लोग गर्मी में भी ठंड का एहसास दिलाने वाले काफल का स्वाद चख रहे।

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