5th Century से जंगलों में ही जीवन बिता रहे हैं सैंकड़ों गुज्जर परिवार

पहाड़ी जंगलों में गृष्मकालीन प्रवास पर पहुंचे घुमंतू समुदाय के लोग

Lock-Down के चलते एक माह Late हुआ प्रवास
 सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस दौर में बेशक कुछ लोग चांद और मंगल ग्रह पर घर बनाने का सपना देख रहे हों, मगर दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने देश में ही 2 गज जमीन व सिर पर छत के लिए भी मोहताज है। एसी ही कहानी हिमाचल के गुजर समुदाय की भी है, जो खानाबदोश जैसा जीवन जी रहे हैं। आधुनिकता की चकाचौंध से कोसों दूर अपने मवेशियों के साथ जंगल-जंगल घूम कर मस्ती से जीवन यापन करने वाले सिरमौरी गुज्जर समुदाय के लोग इन दिनों मैदानी इलाकों से गिरिपार अथवा जिला के पहाड़ी क्षेत्रों के छः माह के प्रवास पर पहुंच चुके हैं। गिरिपार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले Subdivision संगड़ाह, राजगढ़ व शिलाई के पहाड़ी जंगलों में सदियों से आम दिनों में अप्रैल व मई महीने में उक्त समुदाय के लोग अपनी भैंस, गाय, बकरी व भारवाहक बैल आदि मवेशियों के साथ गर्मियां बिताने पहुंचते हैं। 
 इस बार National Lock-Down के चलते उक्त समुदाय का ग्रीष्मकालीन प्रवास करीब एक माह देरी से शुरू हुआ। सितंबर माह में ग्रेटर सिरमौर अथवा गिरिपार में ठंड शुरू होने पर यह लौट जाते हैं तथा गंतव्य तक पहुंचने में इन्हे एक माह का समय लग जाता है। इनके मवेशियों के सड़क से निकलने के दौरान वाहन Drivers को कईं बार जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। सिरमौरी साहित्यकारों व इतिहासकारों के अनुसार सिरमौरी Gujjar छठी शताब्दी में मध्य एशिया से आई हूण जनजाति के वंशज है। इस समुदाय का सोशल मीडिया, Media, सियासत, औपचारिक शिक्षा, Internet व एंड्रॉयड फोन आदि से नजदीक का नाता नहीं है। इसके बावजूद पिछले कुछ अरसे से गुज्जर समुदाय के कुछ लोग केवल बातचीत करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगे हैं तथा इनके कुछ बच्चे स्कूल भी जाने लगे हैं। 
 गुज्जर समुदाय के अधिकतर परिवारों के पास अपनी जमीन अथवा घर पर नहीं है, हालांकि कुछ परिवारों को सरकार द्वारा पट्टे पर जमीन उपलब्ध करवाई गई है। कुछ दशक पहले तक अनाज के बदले दूध देने वाले उक्त समुदाय के लोग अब अपने मवेशियों का दूध व खोया तथा घी आदि दुग्ध उत्पाद बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं। जिला में यह एकमात्र घुमंतू समुदाय है तथा इनकी जनसंख्या मात्र दो हजार के करीब है। खंड शिक्षा अधिकारी संगड़ाह के अनुसार घुमंतू गुज्जर समुदाय के बच्चों को लिए चलाए जा रहे विशेष Mobile School मे इन Students को अन्य विद्यार्थियों से ज्यादा सुविधाएं सरकार द्वारा मुहैया करवाई जा रही है। जंगलों में परिवार के साथ जिंदगी बिताने के दौरान न केवल उक्त समुदाय के लोगों के अनुसार उन्हें न केवल प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि कईं बार जंगली जानवरों, स्थानीय लोगों व संबंधित कर्मचारियों की बेरुखी का भी सामना करना पड़ता है। जिला के पांवटा-दून, नाहन व गिन्नी-घाड़ आदि मैदानी क्षेत्रों से चूड़धार, उपमण्डल संगड़ाह अथवा गिरिपार के जंगलों तक पहुंचने में उन्हें करीब एक माह का वक्त लग जाता है। पहाड़ों का गृष्मकालीन प्रवास पूरा होने के बाद उक्त घुमंतू समुदाय अपने मवेशियों के साथ मैदानी इलाकों के अगले छह माह के प्रवास पर निकल जाएगा और इसी तरह इनका पूरा जीवन बीत जाता है।

संगड़ाह में आज होगी Barber and Beautician की 1st Training 

BRC Hall में दिया जाएगा प्रशिक्षण 

संगड़ाह। सिरमौर जिला के उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह में नाई अथवा सैलून तथा Beauty Parlours चलाने वालों को आज बुधवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। कस्बे में मौजूद दर्जन भर के करीब बार्बर तथा ब्यूटीशन में से अब तक केवल एक नाई द्वारा पांवटा साहिब में प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है तथा यहां रिजवान नामक उक्त शख्स की ही दुकान खुली है। प्रशासन द्वारा अब तक यहां किसी भी नाई तथा Beautician को ट्रेनिंग न दिए जाने के चलते उक्त दुकानें बंद है। आम लोगों के अलावा कुछ स्थानीय अधिकारियों तथा पत्रकारों के बाल व दाढ़ी भी उक्त दुकानें बंद होने से बेतरतीब ढंग से बढ़ते देखें जा हैं। SDM संगड़ाह राहुल कुमार ने बताया कि, उक्त प्रशिक्षण को लेकर उन्होंने संबंधित तहसीलदार, नायब तहसीलदार व BMO संगड़ाह आदि को आदेश जारी कर दिए हैं। तहसीलदार आत्माराम नेगी के अनुसार बीआरसी हॉल में प्रात: 11 बजे उक्त ट्रेनिंग शुरू होगी। बीएमओ संगड़ाह डॉ यशवंत ने कहा कि, लिए एक डॉक्टर तथा खंड स्वास्थ्य शिक्षक को उक्त ट्रेनिंग के लिए नियुक्त किया जा चुका है।

Local Bus न चलने से लोग परेशान 

संगड़ाह। उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से कशलोग, भावन, शियाघाटी, अरट, अंधेरी, टिकरी, दोसड़का, कालथ व राइचा आदि गांव के लिए चलने वाली HRTC की लोकल बस को शुरू न कि जाने के चलते ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। संबंधित दर्जन भर गांवों के पंचायत प्रतिनिधियों ने यहां जारी बयान में कहा कि, क्षेत्र में चल रही अन्य अन्य बसों के अपेक्षा उक्त बस की ज्यादा अहमियत है। इस बस के रुट में कुछ ऐसे गांव हैं, जहां अन्य कोई भी बस नहीं जाती। परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक रशीद मोहम्मद शेख ने कहा कि, फिलहाल नाहन डीपो की की मात्र 50 बसें चलाई गई है तथा दो-चार दिनों में लोकल बस को शुरू किया जा सकता।

ददाहू में Curfew के दौरान निर्माण कार्य करने पर FIR  

संगड़ाह। Curfew के दौरान ददाहू में मकान अथवा भवन निर्माण करने वालों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। एक स्थानीय शख्स की शिकायत पर District Magistrate सिरमौर के आदेशों की अवहेलना के लिए उक्त मामला दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा आरवीएन स्कूल के समीप जसवन्त सिंह व आत्मा राम द्वारा किए जा रहे मकान निर्माण कार्य का मुआयना भी किया गया। पुलिस के मुताबिक जसवन्त सिंह नियमों की अवहेलना पर कोई भी सन्तोषजनक जवाब नहीं दे सका और न ही उसने प्रशासन से अनुमति ली थी। जसवन्त सिंह व आत्मा राम द्वारा रात के समय किए जा रहे उक्त निर्माण कार्य से पुलिस के अनुसार Coronavirus महामारी के संक्रमण के फैलने का खतरा बना हुआ है। DSP संगड़ाह अनिल धौलटा ने बताया कि, रेणुकाजी थाने में दर्ज मामले की तहकीकात जारी है।


निर्धारित मूल्य से अधिक Rate पर Meat बेचने वालों पर होगी कार्यवाही : DM

एक महीने की अवधि के लिए दरें रहेंगी लागू

नाहन। जिला सिरमौर में तुरन्त प्रभाव से आगामी एक माह तक व्यापारी व खुदरा विक्रेता अब प्रशासन द्वारा तय किए गए मूल्य से अधिक पर Meat नही बेच पाएंगे। यह आदेश District Magistrate सिरमौर डॉ आरके परूथी ने हिमाचल प्रदेश कमोडिटीज प्राइस मार्किंग और डिस्प्ले ऑर्डर, 1977 और हिमाचल प्रदेश जमाखोरी और मुनाफाखोरी निवारण की धारा 3 (1) (डी) की पद्वत शक्तियों का प्रयोग करते हुए दी। DM ने बताया कि, बकरी व भेड का मीट 400 रूपये प्रति किलोग्राम, सुअर का मीट 220 प्रति किलोग्राम, चिकन (ब्रॉयलर) 180 प्रति किलोग्राम और (कच्ची) मछली 180 रूपये  प्रति किलोग्राम से अधिक नही वसूल पाएंगे।  
       इसके अतिरिक्त  प्रत्येक दुकानदार उपभोक्ता को एक कैश मेमो जारी करेगा और निरीक्षण के लिए डुप्लीकेट कॉपी अपने पास रखेगा। डीलर व  दुकानदार इन वस्तुओं की मूल्य सूची को परिसर के प्रवेश द्वार पर प्रदर्शित करेगा जिस पर उस दुकान के मालिक या प्रबंधक के हस्ताक्षर होने चाहिए।

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