रेणुकाजी Dam Project Office बाहर विस्थापितों ने फिर दिया धरना

आगामी विधानसभा Election में ताकत दिखाने की भी चेतावनी दी 

प्रदर्शनकारियों से ज्यादा संख्या मे दिखे Police कर्मी 

DC सिरमौर के वादे के मुताबिक MOF I Card न दिए जाने पर जताया रोष 

27 दिसंबर को PM कर चुके है दशकों से लंबित परियोजना का शिलान्यास 

संगड़ाह। राष्ट्रीय महत्त्व की रेणुकाजी बांध परियोजना के कार्यालय के बाहर डैम से विस्थापित होने वाले किसानों द्वारा गुरुवार को एक बार फिर धरना दिया गया।‌ इससे पूर्व गत 27 दिसंबर को Prime Minister द्वारा करीब 7,000 करोड़ की इस परियोजना का वर्चुअल शिलान्यास की जाने के दौरान भी विस्थापितों द्वारा मैनेजमेंट कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया गया था। परियोजना के शिलान्यास से महज एक दिन पहले विस्थापित समिति के संयोजक एवं BJP प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रताप तोमर द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद से फिलहाल अब तक इस बांध से विस्थापित होने वाले 1142 के करीब परिवारों द्वारा कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नही किया गया है। गुरुवार को हुए धरना प्रदर्शन मे लोगों के कम संख्या मे पंहुचने का कारण विस्थापित नेताओं ने एक गांव मे अप्रीय घटना घटित होना बताया। विस्थापितों द्वारा गठित जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला की मौजूदगी तीन दर्जन के करीब लोगों द्वारा परियोजना कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की गई।‌ 
योगेंद्र कपिला ने डीसी सिरमौर के वादे के मुताबिक 5 फरवरी तक विस्थापितों को पहचान पत्र न दिए जाने तथा अब तक मिले करीब 447 करोड के मुआवजे का पैरा-55 के तहत विस्तृत विवरण न मिलने पर रोष जताया। इसके अलावा परियोजना कार्यालय मे विस्थापितों की वजाय बाहरी लोगों को रोजगार देने तथा बाधं निर्माण से पूर्व चंडीगढ़ के समीप पुनर्वास का मुद्दा भी उठाया गया। बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन मार्ग की बदौलत उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह व चौपाल की जिला मुख्यालय नाहन व चंडीगढ़ आदि से दूरी 7 किलोमिटर बढ़ जाएगी और इसके वैकल्पिक 14 किलोमीटर Road के लिए न तो जमीन व Budget उपलब्ध है और न ही इसे Social Impect मे दर्शाया गया है। योगेंद्र कपिला ने कहा कि, डीसी के अलावा मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से भी उनकी बैठकें हो चुकी है, मगर मांगे पूरी नहीं हुई। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में विस्थापितों को इकजुट कर सरकार को अपनी ताकत दिखाने व Election को प्रभावित करने की भी चेतावनी दी।

 उन्होंने कहा कि, प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रहेगा। प्रदर्शन के दौरान Police Force चुस्त दुरूस्त दिखी और पुलिसकर्मियों की संख्या प्रदर्शकारियों से ज्यादा रही। समिति ने अपने बयान मे कहा कि, गत 5 जनवरी को मुख्यमंत्री तथा 24 दिसंबर को डीसी सिरमौर के साथ हुई बैठक में जल्द विस्थापितों की जायज मांगे पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नही हुआ। पीसी शर्मा व Adv वरूण शर्मा आदि ने भी प्रदर्शनियों को संबोधित किया। विस्थापित समिति गिरीपार को अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग को लेकर हाटी समिति के समर्थन का दावा भी कर चुकी है। गौरतलब है कि, 1960 के दशक से प्रस्तावित व बजट के अभाव मे लंबित इस परियोजना का शिलान्यास गत 27 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा चुका है। मात्र 40 मेगावाट की इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस पर करीब 780 करोड़ खर्च हो चुके हैं जिसमें से लगभग 447 करोड विस्थापित परिवारों को मुआवजा देने पर खर्च किए जा चुके हैं। समिति पदाधिकारियों के अनुसार पिछले 14 साल से वह अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

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