पदमश्री सरैक का लोईया-टोपी देख PM मोदी बोले : आप हिमाचल से हैं

सिरमौरी के पहले लोक साहित्यकार को मिला Parama Shri Award
सिरमौर या यूं कहें हिमाचल की लोक संस्कृति के संरक्षण तथा प्रसार के लिए अपना जीवन खपा देने वाले उपमंडल राजगढ़ के दूरदराज गांव देवढी-मझगांव के विद्यानंद सरैक को आज राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया गया। महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने उन्हे यह पुरस्कार Prime Minister नरेन्द्र मोदी व Home Minister अमित शाह की मौजूदगी में भेंट किया। श्री सरैक के परिधान लोईया व टोपी देख PM Modi बोले - मैंने पहचान लिया आप हिमाचल से हैं। Prime Minister ने कहा कि, उन्हे हिमाचल से विशेष लगाव है। 
राष्ट्रपति भवन में विद्यानंद सरैक ने Greater Sirmaur अथवा गिरिपार के ऊनी परिधान लोइया व हिमाचली टोपी पहनकर President of India से Padama Shree Award गृहण किया। इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्य भी उपस्थित रहे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए इस पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रीय पद्म नागरिक सम्मान से अलंकृत की जाने वाली देश की विभूतियों मे उनका नाम 102 स्थान पर है। इससे पहले लोक साहित्य के लिए संगीत नाटक अकादमी की ओर से 18 जनवरी 2018 को उन्हे राष्ट्रपति सम्मान भी मिल चुका है। गौरतलब है कि, जिला सिरमौर के 81 वर्षीय सरैक छोटी उम्र से ही लोक विधाओं के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।‌ अब तक वह 25 विषयों पर हस्तलिखित पुस्तकें तैयार कर चुके हैं, जिनमें से 8 Publish हो चुकी है। श्री के अनुसार वह सैंकड़ों सिरमौरी Folk Song व कविताओं के अलावा पहाड़ी बोली मे कईं नाटक भी लिख चुके हैं। इसके अलावा वह भर्तहरी, गीता व गीतांजलि जैसे हिंदी महाकाव्यों का सिरमौरी बोली मे अनुवाद भी कर चुके हैं। वर्ष 1957 में उन्होन All India radio पर 1st Time सिरमौरी गीत प्रस्तुत किया। हिमाचल के विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मेला अथवा अन्य बड़े आयोजनों में भी वह नाटी व करयाला आदि सिरमौरी लोक विधाओं पर अपनी प्रस्तुति देते हैं तथा अपने चुड़ेश्वर सांस्कृतिक दल के साथ वह विदेशों मे भी सिरमौरी सांस्कृती की झलक दिखा चुके हैं। साहित्य शिक्षा के लिए Padma Shre Award हासिल करने वाले वह सिरमौर के पहले शख्स है। उन्हें यही पुरस्कार मिलने से जिला में उत्साह की लहर है। सिरमौर के साहित्यकारों तथा नेताओं ने उन्हे National Award के लिए बधाई दी। सरैक ने कहा कि, सोमवार को मिले जीवन के इस सर्वोच्च सम्मान के लिए वह हिमाचल व भारत की वर्तमान Government के आभारी है। उनकी पोती वंदना सरैक जो संगीत विषय में PhD कर रही है, उनकी इस विरासत को संभालेंगी।


 

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