Forest Range संगड़ाह के पिऊलीलाणी मे फिर पकड़ी गई Polystichum Fern से लदी Pickup

सिरमौर के हिमालई जंगलों से चंडीगढ़ व अन्य बड़े शहरों के लिए होती है दुर्लभ वनस्पति की तस्करी

5 दिन पहले वन विभाग ने 1 अन्य फर्न तस्कर से वसूले थे 92,120 ₹

Forest Rights Act के तहत बिरना बेचने की मांग कर रहे ग्रामीण 

संगड़ाह। Forest Dipartment द्वारा गत रात्रि Sangrah Range के पिऊलीलाणी में स्थानीय बोली में Birna कहलाने वाले Polystichum Squarrosum Ferm की तस्करी के लिए इस्तेमाल 1 और Pickup HP-79 2741 को Driver नरेश कुमार व 2 अन्य लोगों सहित पकड़ा अथवा कब्जे में लिया गया। आरोपी कजवा गांव के बताए गए और इसी ओर से पिक-अप संगड़ाह की तरफ आ रही थी। DFO उर्वशी ठाकुर ने बताया कि, RO संगड़ाह विद्यासागर के नेतृत्व में राजेंद्र, सतपाल, तनू, मेलाराम व सत्यपाल नामक वन कर्मियों द्वारा वन संपदा की रक्षा के लिए उक्त स्थान पर नाकाबंदी की गई थी। रविवार को 35,025 ₹ की जुर्माना राशि वसूले जाने के बाद गाड़ी को रिलीज किया गया। 5 दिन पहले इसी जगह पर लजवा गांव के रविन्द्र सिंह नामक शख्स की पिकअप पकड़ी गई थी और उससे 92,120 ₹ की जुर्माना राशि वसूल की गई। जानकारी के अनुसार फूल के बुके अथवा गुलदस्ते की पैकिंग के लिए चंडीगढ़ व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बिरना नामक इस Evergreen green अथवा दुर्लभ वनस्पति की तस्करी की जाती है। 5 दिन पहले वन विभाग द्वारा पिऊलीलाणी नामक स्थान पर ही नाकाबंदी के दौरान करीब 12 क्विंटल उक्त फर्न बरामद की गई थी। इससे पहले भी क्षेत्र में फर्न तस्करी के आरोपी पकड़े जा चुके हैं, मगर इसकी 1 छोटी गाड़ी अथवा Pickup से 1 लाख ₹ तक की कमाई के लालच में धंधा थमा नहीं है। 

विभाग के अनुसार जैव विविधता व पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस औषधीय Fern का अस्तित्व तस्करी से खतरे में है, हालांकि ग्रामीणों के मुताबिक यह घास तो पशु चारे के काम भी नहीं आती । जानकारों के मुताबिक Miner Forest product श्रेणी में आने वाली इस वनस्पति की मादक द्रव्य भांग की खेती को Legalise करने को प्रयासरत हिमाचल Government द्वारा Scientifically बेचने की permission दिए जाने की सूरत में क्षेत्र के किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। क्षेत्र के किसान अव Forest rights Act-2006 के तहत बिरना की बिक्री को वैध घोषित किए जाने की मांग भी Government of Himachal व वन विभाग से करने लगे हैं। उधर स्थानीय Forest official के अनुसार अब तक न तो इस तरह की कोई भी Application मिली है और न ही इस Medicinal Fern को लेकर कोई policy बनी है। DFO उर्वशी के अनुसार जंगल से पेड़ो व जड़ी बूटी जैसी वन संपदा के अवैध दोहन के प्रति वन विभाग स्तर्क है और तस्करों के विरुद्ध इस तरह की कार्यवाही जारी रहेगी।


 

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