महामंडलेश्वर दयानंद भारती का रेणुकाजी पंहुचने पर नागरिक अभिनंदन

विभिन्न धार्मिक संगठनों ने रथयात्रा के दौरान की पुष्प वर्षा
 प्रयागराज महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद पहली बार रेणुकाजी पंहुचे गायत्री मंदिर के संचालक एवं श्रीमहंत दयानंद भारती का विभिन्न धार्मिक संगठनों व स्थानीय लोगों द्वारा परम्परा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया। रेणुकाजी स्थित विभिन्न मंदिरों व आश्रमों से संबंधित लोगों के साथ साथ व्यापार मंडल ददाहू के प्रधान कुलभूषण गोयल, महिला मंडल प्रधान नीलम अग्रवाल व पंचायत प्रधान शकुंतला देवी सहित सैंकड़ों स्थानीय लोगों द्वारा फूल मालाएं पहनाकर उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। 

 Renukaji के साथ लगते ददाहू कस्बे से पारम्परिक वाद्ययंत्रों के साथ शुरू हुई महामंडलेश्वर दयानंद भारती की रथयात्रा नाहन मार्ग पर दो किलोमीटर आगे बायरी तक निकाली गई। जगह-जगह लोगों ने  पुष्प वर्षा से उनका स्वागत-सत्कार किया। सिरमौरी वाद्य यंत्र दमेनू, ढोल, करनाल व नगारे के अलावा बीन व बैंड बाजे के जोशीले संगीत के साथ निकली शोभायात्रा नगर परिक्रमा के बाद गायत्री आश्रम में संपन्न हुई। इस अवसर पर गायत्री मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया था, जहां उन्होंने आरती में भाग लिया।

 स्वामी दयानंद भारती को गत सप्ताह प्रयागराज में महामंडलेश्वर व अंतरराष्ट्रीय संत की उपाधि से विभूषित किया गया था। यह उपाधि उन्हें जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरि ने हजारो संतों की उपस्थिति में प्रदान की। इसके बाद महामंडलेश्वर सीधे अपने आश्रम अंबाला पहुंचे जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। जिला सिरमौर मुख्यालय नाहन में भी उनका अभिनंदन गया, जिसके बाद उन्हें पूरे सम्मान के साथ उनके सैकड़ों शिष्यों व श्रद्धालुओं ने गायत्री मंदिर पहुंचाया। एक विशेष बड़ा यज्ञ करने के बाद वह भंडारा भी करेंगे। महंत दयानंद भारती हिमाचल के पहले संन्यासी हैं, जिन्हें महामंडलेश्वर बनने का सौभाग्य मिला है। इससे पहले सूबे का कोई भी संत महामंडलेश्वर नहीं बनाया गया है। भारती को संत समाज ने सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि दे दी है, जो जिला सिरमौर व हिमाचल के आध्यात्मिक लोगों के लिए भी गौरव की बात है। 

 70 वर्षीय दयानंद भारती विकास खंड संगड़ाह की कोटी धीमान पंचायत के गांव माइला के रहने वाले हैं। उनका बचपन से ही अध्यात्म की ओर रुझान हो गया था, जिसके चलते वह 36 वर्ष पूर्व दग्योंन के संत श्री 1008 प्यारा नंद ब्रह्मचारी के शिष्य बन गए थे। कईं वर्षों तक उन्होंने रेणुका तीर्थ में  साधना की। पिछले तीन दशक में वह जनसेवा के गायत्री मंदिर में विशाल आश्रम स्थापित चुके हैं। इसके अलावा दयानंद भारती ने बद्रीनाथ, हरिद्वार, हमीरपुर व अंबाला सहित कई अन्य आश्रम बनाएं हैं। दयानंद भारती के North India में हजारों शिष्य है। वह अनपढ़ होते हुए भी श्रीमद्भागवत महापुराण व देवी भागवत इत्यादि परायण करते हैं। अब तक वह दर्जनों पुस्तकें लिख चुके हैं। उन्हें सीधा Mahamandleshwar की पदवी से विभूषित किया जाना बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि आमतौर पर इससे किसी संत पहले मंडलेश्वर बनाया जाता है। महामंडलेश्वर भारती ने कहा कि, वह भविष्य में भी जन कल्याण के लिए समर्पित रहेंगे। (श्रीरेणुकाजी से दीपक जोशी की रिपोर्ट)

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