💯 के करीब लोगों को मिल रहा है परोक्ष रोजगार
Juice, जैल, Hand wash, जैम व Herbal powder जैसे Products के लिए किसानों से खरीदा जा रहा हैं कच्चा मालNABARD द्वारा जारी पांच लाख की सहायता राशि से 2012 स्थापित इस यूनिट की बदौलत क्षेत्र में Medicinal plants की खेती को बढ़ावा देने व किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उस दौरान राष्ट्रीय बागवानी मिशन व मिड हिमालयन आदि Projects के तहत करीब तीन लाख की अतिरिक्त सहायता राशि भी सरकार द्वारा जारी की गई थी। इस युनिट में इस्तेमाल होने वाले Farmers के सभी उत्पादों को लेकर एक खास बात यह है कि, इन्हे बंदर नही खाते। बंदरों के आतंक से प्रभावित खेतों अथवा जंगल के साथ वाली जमीन पर भी यहां इस्तेमाल होने वाली फसलें अथवा जड़ी-बूटियां उगाई जा सकती है। क्षेत्र के किसानों द्वारा स्थापित जिला सिरमौर का अपनी तरह का यह पहला co-operative sector का यूनिट 2015 में अनदेखी, दो मुख्य संचालक के दुर्घटना में घायल होने व आर्थिक तंगी के चलते ठप पड़ गया था। उस दौरान नाबार्ड, अरावली संस्था व दुर्गा किसान क्लब आदि द्वारा हालांकि इसे demonstration अथवा किसानों को Training देने के लिए शुरू किया गया था, मगर स्थानीय किसानों के मुताबिक अब यहां लगातार एलोवेरा, लेमन ग्रास, करेला व क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न फलों तथा औषधीय पौधों के जूस जेल, जैम, हेंडवाश तथा शैंपू जैसे हर्बल उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इस यूनिट पर सरकारी अनुदान राशि के अलावा स्थानीय किसानों की गाढ़ी कमाई भी खर्च हो चुकी है।
दुर्गा किसान Club के संचालक एवं अवतरण संस्था के निदेशक महिमानंद शर्मा ने बताया कि, प्रोसेसिंग यूनिट को गत नवंबर माह में दोबारा चालू अथवा रि-इंस्टोल किया जा चुका है। औषधीय गुणों से भरपूर किसानों उत्पाद Market में पहुंचने पर सौ के करीब किसान परिवार लाभान्वित होंगे। उक्त युनिट में जहां पांच लोग लगातार काम कर रहे हैं, वहीं मार्केटिंग के लिए भी कुछ समय में दस बेरोजगारों को रखा जाएगा। इस उद्यौग के लिए अदरक, सौंप, एलोवेरा व करेला आदि कृषि उत्पाद व हरड़, बेहड़ा, गिलोय तथा अर्जुन छाल आदि जड़ी-बूटियों को बतौर कच्चा माल उपलब्ध करवाने से करीब सौ बेरोजगारों अथवा किसानों को आमदनी हो रही है। जिला सिरमौर व प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में शामिल हिमाचल के पहले CM का विधानसभा क्षेत्र रहे विकास खंड संगड़ाह में एक और जहां नेताओं के चुनावी वादों के बावजूद आज तक कोई भी कृषि आधारित उद्योग नहीं लगा, वहीं उक्त माइक्रो इंडस्ट्री को भी मार्किटिंग व Production के लिए सरकारी सहायता की दरकार है। युनिट के संचालक महिमा नंद शर्मा के अनुसार वह इस युनिट के रि-इस्टोलेशन व जमीन तथा कच्चा माल आदि पर अब तक करीब 50 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि, यहां मशीनों से पैकिंग व आधुनिक उपकरणों को लगाने के लिए वह करीब एक करोड़ के ऋण अथवा सरकारी मदद के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा अपने उत्पादों को Herbal pharmacy के रूप में पंजीकृत करवाने के लिए भी उन्हें जानकारी अथवा मदद के अभाव में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। HP Agriculture marketing Board के जिला अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा तथा हाल ही में उक्त औद्योगिक इकाई का निरिक्षण कर चुके भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रताप तोमर ने कहा कि, किसानों को सीधा लाभ पहुंचा सकने वाले इस युनिट की बेहतरी के लिए सरकारी स्तर पर हर संभव मदद मुहैया करावाए जाने के प्रयास किए जाएंगे।
very nice informative blog given by you . Thanks for sharing ....
ReplyDeleteAyurvedic immunity Booster