गिरिपार मे बीशु मेलों के लिए तैयार हो रहे हैं तीर-कमान

धनुष 🏹 से होने वाला Symbolic युद्ध रहता है मुख्य आकर्षण

वैशाखी से संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ में शुरू होते हैं Bishu
(File Photos)
 कौरव-पांडवों के बीच हुए महाभारत के युद्ध की यादें ताजा करने वाले बिशू मेलों की तैयारी में गिरिपार क्षेत्र के बाशिंदे जोर-शोर से जुट गए है। हिंदू नववर्ष अथवा वैशाख मास से शुरू होने वाले इन मेलों में Bow and Arrow से होने वाला महाभारत का Symbolic युद्ध अथवा ठोडा नृत्य मुख्य आकर्षण रहता है। सिरमौर के अलावा साथ लगते शिमला के चौपाल तथा उत्तराखंड के जौनसार इलाके के कईं गांव में भी Mahabharata कालीन बीशु मेले को मनाए जाने की परम्परा कायम है। पांच दशक पूर्व तक हालांकि इन मेलों में कईं बार शाठी व पाशी खेमों के बीच में होने वाले घौणू-शोरी अथवा Bow and Arrow युद्ध के दौरान Gang War भी होती थी, मगर अब केवल एक खेल अथवा Entertainment के लिए ग्रामीण एक-दूसरे पर लकड़ी के तीर चलाते हैं।


 नियमानुसार केवल Special uniform अथवा सुथण पहनने वाले धनुर्धर की टांगों पर ही सूर्यास्त से पहले तक दूसरा योद्धा वार कर सकता है। खुद को कौरव का वंशज मानने वाले शाठी व पांडव वंश के कहे जाने वाले पाशी खेमों अथवा खुंदो द्वारा परम्परा के अनुसार इन मेलों में एक-दूसरे को War के लिए जुब्बड़ मैदान में ललकारा जाता है। कुल देवता की अनुमति के बाद जंग बाजा कहलाने वाले पारम्परिक वाद्ययंत्रों की ताल पर बीशू दल के सैंकड़ों लोग धनुष-बाण व लाठी-भालों के साथ दूसरे खेमे को चुनौती देते हुए जुब्बड़ मैदान में पहुंचते हैं। दल के मैदान-ए-जंग अथवा जुब्बड़ में पंहुचने पर लगता है जैसे यहां हजारों साल पुरानी परम्परा के अनुसार पर कोई धर्म युद्ध हो रहा है। 


पिछले तीन दशक से इन Festival में काफी बदलाव आया है तथा सांस्कृतिक संध्याएं व खेलकूद प्रतियोगिताएं Bishu का मुख्य आकर्षण बन चुकी है। मेला बाजार में खरीदारी, मिठाई व Fast food तथा झूला झूलना भी बदलते परिवेश बीशु का अभिन्न हिस्सा बन चुके है। आगामी 14 अप्रैल अथवा वैशाखी से शुरू होने वाले उक्त मेले मई माह के अंत तक चलते हैं। क्षेत्र में तीरंदाजी अथवा ठोडो Competition में भाग लेने वाले ग्रामीण जहां अपने तीर-कमान तथा लाठियां तैयार करने में लगे हैं, परम्परा के मुताबिक घरों की सफाई व रंग रोगन का कार्य भी शुरू हो चुका है। Greater Sirmaur के अंतर्गत आने वाली 130 के करीब पंचायतों में पुराने समय में मेल-जोल का मुख्य जरिया रहने वाले वीशु वर्तमान दौर में भी यहां काफी अहमियत रखते हैं। बहरहाल करीब ढ़ाई लाख की आबादी वाले Trans-Giri river क्षेत्र के लोग बीशु मेलों के आयोजन की तैयारी में जुट गए हैैं।

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