आज भी कायम है नाटी का Magic

International रेणुकाजी Fair की सभी सांस्कृतिक संध्याओं में Nati पर झूमते दिखे दर्शक
 हिमाचली लोक संस्कृति की पहचान समझी जाने वाली नाटी का सदियों पुराना Attraction अथवा जादू आज भी कायम है। देश भर में बढ़ रहे Western culture व विदेशी सभ्यता के प्रभाव के बावजूद हिमाचली नाटी का बाल भी बांका नही हो सका। Modern Media, YouTube, Video albums, Tik-tok, Stage show, Social Media व गिनीज बुक आदि माध्यमों से वर्तमान दौर मे नाटी की गूंज न केवल हिमाचल बल्कि भारत व World के विभिन्न हिस्सों में पहुंच चुकी है। 
 नाटी न केवल बोली अथवा भाषाई विभिन्नता वाले हिमाचल प्रदेश को 1 सूत्र में बांधती है, बल्कि साथ लगते उत्तराखंड व अन्य पड़ोसी राज्यों में भी विभिन्न कार्यक्रमों में नाटी सुनी अथवा देखी जाती है। सिरमौर जिला के एक मात्र अंतर्राष्ट्रीय मेला रेणुकाजी में गत वर्षों की तरह इस बार भी लगभग सभी सांस्कृतिक संध्याओं में Audience का नाटी के प्रति आकर्षण बखूबी देखा गया तथा सैकड़ों मेलार्थी नाटी Performance के दौरान झूमते देखे गए।

 मेले की हर एक Culture Night में औसतन दो दर्जन दलों अथवा कलाकारों द्वारा Nati अथवा गी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया गया। हिमाचल के सिरमौर, शिमला, कुल्लू, मंडी व सोलन आदि जिलों के पहाड़ी इलाकों मे शादी व अन्य समारोह में धीमी लय वाली पहाड़ी धुनों पर सदियों से होने वाला Song-Dance नाटी के रूप में आज देश व दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुका है। 
  वर्ष 2000 के बाद अपने Audio-Video Aldum, स्टेज शो व सोशल मीडिया आदि के माध्यम से प्रदेश व देश भर मे नाम कमाने वाले हिमाचली कलाकार ठाकुर दास राठी, कुलदीप शर्मा, विक्की चौहान, करनेल राणा, केएल सहगल, शारदा शर्मा, महेंद्र राठोर, दिनेश शर्मा व राजेश मलिक आदि की सफलता का राज उनके द्वारा गाए गए नाटी गीत ही समझे जाते हैं। कुल्लू दशहरा मे 26 अक्टूबर 2015 को 9892 लोगों द्वारा Traditional Dress में एक साथ की गई नाटी Guinness world Record book में दर्ज होना हिमाचल के लिए गौरव का विषय है। 


हिमाचल के नाटी गायकों को अपने ही प्रदेश में पंजाबी व मुम्बईया गायकों की वजाय उपेक्षित तथा छोटे समझा जाना, सरकारी कार्यक्रमों में इन्हें बाहरी कलाकारों से कई गुना कम मानदेय अथवा सम्मान मिलना तथा बड़े लोक कलाकारों द्वारा पारंपरिक पोशाक की वजाय English Dress मे नाटी किया जाना हिमाचली नाटी के लिए घातक समझा जाता है। जर्मन, थाईलैंड, जापान, हंगरी, मिस्र, आयरलैंड व यूरोप तथा अफ्रीका के कई देशों में नाटी लोक नृत्य पेश कर चुके उपमण्डल संगड़ाह के बाऊनल व राजगढ़ के चुड़ेश्वर आदि सांस्कृतिक दलों के कलाकार नाटी में रीमिक्स तथा कईं बड़े Folk Singers द्वारा कोट-पैंट अथवा जींस-शर्ट मे नाटी करने का कईं बार विरोध कर चुके हैं। बहरहाल कुल मिलाकर पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते प्रभाव के बावजूद सिरमौर अथवा हिमाचल में नाटी का Attraction अथवा magic बखूबी कायम है।

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