शीतकालीन प्रवास पर कड़ियाणा Temple पंहुचे गोण देवता

1 मंदिर में केवल छः माह रहते हैं उक्त देवता

संगड़ाह। अपने एक मंदिर में केवल छः माह तक रहने वाले गोण देवता शुक्रवार को शीतकालीन प्रवास के लिए उपमंडल संगड़ाह के गांव स्थिति कड़ियाणा मंदिर चले गए। बैसाखी से दीपावली तक उक्त देवता गृष्मकालीन प्रवास के दौरान क्षेत्र के गांव डुंगी में रहते हैं। गोण अथवा गण देवता के प्रस्थान से पूर्व उनके मंदिर में डुंगी व पालर गांव के सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने पारम्परिक पोड़ोई पूजन किया। इस दौरान हर घर का एक सदस्य देवता को घी, अखरोट व अनाज चढ़ाता है और इस परम्परा को भेंट कहा जाता है। पारम्परिक वाद्य यंत्र दमेनू, ढोल व नगाड़े की ताल पर पूजा-अर्चना के साथ देवता की अनुमति के बाद शोभायात्रा रवाना हुई। कड़ियाना मंदिर में प्रवेश से पूर्व देवता साथ लगते गांव लुधियाना, तिरमलगा व कशलोग के लोग भेंट के लिए पहुंचे, जहां उन्हें अनाज, घी तथा अन्य चीजें भेंट करने की परम्परा निभाई। गौरतलब है कि, गोण महाराज क्षेत्र के एक मात्र देवता है जिनके विशेष जागरण के दौरान सात भेंट चढ़ती है और इसमे काफी खर्च होता है। इनकी आराधना की पद्धति भी अलग है। बहरहाल करीब तीन शताब्दी पुरानी परम्परा के अनुसार देवता छः माह के शीतकालीन प्रवास पर निकल गए।

Car-Bus की हल्की टक्कर के चलते 1 घंटा लगा जाम

बस अड्डा बाजार संगड़ाह मे शराब की दुकान के समीप कार व HRTC बस की टक्कर के चलते करीब एक घंटा जाम लगा रहा। शुक्रवार सांय करीब साढ़े 7 बजे Police द्वारा जाम खुलवाए जाने के बाद 7:47 पर नाहन-अरलू बस रवाना हो सकी। इस बीच दर्जनों वाहन जाम मे फसे रहे और बस यात्री भी परेशान रहे। MV act की अवहेलना के लिए आज 8 चालान यहां हुए।

पोड़ोई पर्व पर गौवंश की पूजा व बुड़ेछू नृत्य रहे आकर्षक

गिरीपार में दीपावली से एक दिन पूर्व चौदश से उक्त त्यौहार शुरू होता है तथा इसके बाद अवांस, पोड़ोई, दूज व तीज आदि नाम से सप्ताह भर चलता है। शुक्रवार को मनाए जाने वाले पोड़ोई पर्व पर क्षेत्र मे बैलों अथवा गोवंश के पूजन की परम्परा निभाई गई तथा उन्हे पारम्परिक व्यंजन अथवा पकवान परोसे गए। शुक्रवार को इलाके के विभिन्न गांवों में बुड़ेछू लोक नृत्य भी हुआ।


 

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