शिरगुल महाराज मंदिर खरोटियो मे खुनेवड़़ रस्म के साक्षी बने सैंकड़ो क्षेत्रवासी

हरिपुरधार के समीप मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद हुआ शांत यज्ञ

Traditional वाद्ययंत्रों की ताल पर श्रदालुओं ने किया शिरगुल देवता का जयघोष

संगड़ाह। उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले हरिपुरधार के समीप गांव खरोटियो में शिरगुल देवता Temple के पुनर्निर्माण का काम पूरा होने के बाद बुधवार को यहां religious अनुष्ठान शांत का आयोजन किया गया। अनुष्ठान के दौरान मंदिर पर Khunewar चढ़ाने की परंपरा मे सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। निर्माण कार्य पूरा होने पर यहा 5 दिनो तक धार्मिक रस्मे निभाई गई। मंदिर के शांत यज्ञ में खड़ाह गांव से शिरगुल देवता के छोटे भाई बिजट देवता को भी आमत्रित किया गया था और उनके साथ भी काफी श्रदालु पंहुचे। 
प्रातः 11 बजे मंदिर में खुनेवड़ लगाने की रस्म शुरू हुई। इस दौरान पारंपरिक बाध्ययंत्र दमेनू, ढोल व शहनाई आदि की ताल पर सैकड़ो लोगों ने लिंबोर कहलाने वाले देवता के जयघोष के साथ देवदार के पेड़ को तराशकर बनाई जाने वाली खुनेवड़ को जंगल से मंदिर तक लाया और देवता के जयकारे से माहौल भक्तिमय बना दिया। इस दौरान पुजारी अथवा गुर के साथ कईं भक्त भी देवता के वश मे होकर कूदते व खेलते देखे गए। सिरमौर व शिमला District के प्राचीन मंदिरों मे सदियों से मंदिर निर्माण अथवा जीर्णोद्धार पर इस अंतिम रस्म को पूरा किया जाता है और इसके बाद धाम अथवा भंडारे की भी व्यवस्था की जाती है। 

स्थानीय ग्रामीण विनय छींटा, रणवीर व यशपाल आदि ने बताया कि, वर्ष 2019 में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था मगर Corona काल के चलते करीब 2 साल कार्य बाधित रहा। ग्रामीणों ने सबके सहयोग से इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर दिया। इसके साथ मौजूद में गुगापीर देवता के एक छोटे मंदिर का भी पुनर्निर्माण किया जा चुका है।


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