मक्की बेचकर Daily 500 कमा रहे हैं बलिराम

मेहनत के बूते पर बेहतर ढंग से पाल रहे हैं परिवार
 देश में एक और जहां Government की लाख कोशिशों व दावों के बावजूद बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, वहीं कुछ लोग बिना सरकारी मदद अथवा ज्यादा investment के अपना रोजगार खुद ढूंढ लेते हैं। सरकार की रोजगार सृजन संबंधी विभिन्न योजनाओं के बावजूद बेशक कमजोर तबके व युवा पीढ़ी से संबंध रखने वाले लाखों लोग आज दो जून की रोटी जुटाने में नाकाम हो चुके हों, मगर कुछ लोग अपनी मेहनत को कमाई का जरिया बनाना अच्छी तरह जानते हैं।
 बस अड्डा बाजार संगड़ाह में इन दिनों Corn बेच रहे अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले बलिराम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मक्की अथवा छल्ली बेचकर बलिराम प्रतिदिन 500 अथवा महीने में 15,000 रूपए तक कमाई कर लेते हैं। इस काम में मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, सिरमौर जिला के इस इलाके में ज्यादा गर्मी नहीं होने के बावजूद मक्का भूनने के लिए जलती आग के सामने बैठने वाले को 45 Degree centigrade तक के तापमान को झेलना पड़ता है। इन दिनों क्षेत्र में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व Chandigarh आदि से आने वाले Tourist तथा Bus यात्रियों से बलिराम के कारोबार ठीक चल जाता है। 
 PWD में बतौर मजदूर सेवाएं देने के बाद गत वर्ष सेवानिवृत्त हुए बलिराम को हालांकि कुछ पैंशन भी मिलती है, मगर परिवार में अन्य कोई कमाऊ सदस्य न होने के चलते मामुली pension से गुजारा नहीं होता। बलिराम के अनुसार गत वर्ष retirement के बाद काम न सूझने पर कुछ दिन हांलांकि वह घर पर बैठे रहे, चार सदस्यों के परिवार का खर्चा चलाने के लिए फिर कोई न कोई काम करते रहते हैं।
 मक्की भूनने के अलावा बलिराम व उनकी पत्नी बस अड्डा संगड़ाह में मौजूद शौचालय की देखरेख अथवा सफाई से भी आंशिक कमाई कर लेते हैं। बलिराम के अनुसार वह अपने काम से संतुष्ट है। तीन माह का मक्की का season बंद होने के बाद वह सर्दियों में यात्रियों को मूंगफली, चने व अन्य खाने-पीने की चीजें बेच कर मेहनत व सम्मानजनक ढंग से परिवार का पालन-पोषण करेंगे।

Comments