कपाट खुलते ही चूड़धार मे हल्की बर्फबारी के बावजूद लगी भक्तों की कतार

7.22 करोड़ के नौहराधार-चूड़धार Road के जमनाला तक के टेंडर की प्रक्रिया जारी 

250 करोड़ का Ropeway बनने पर बुजुर्ग व दिव्यांग भी कर सकेंगे दर्शन 

संगड़ाह। उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली Sirmaur District की सबसे ऊंची चूड़धार चोटी पर स्थित शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट खुलते ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जुटाना शुरु हो गई है। शनिवार को Weekend के चलते बाहरी राज्यों से भी काफी श्रद्धालु अथवा पर्यटक नौहराधार के रास्ते से शिरगुल महाराज के दर्शन के लिए चूड़धार की यात्रा पर निकले। शनिवार को चोटी पर हल्के Snowfall के बावजूद देर शाम तक लोगोंं की आवाजाही बढ़ती गई। गौरतलब है कि, हिमाचल के प्रमुख आस्था स्थलों में शामिल चुड़धार में हर साल लाखों श्रदालु शिरगुल महाराज देवता के दर्शन करने पहुंचते है।
 छुट्टी तथा विशेष धार्मिक अवसर पर चुडधार में श्रदालुओं की भीड़ रहती है और बाहरी इलाकों से कंई Tourist मौज मस्ती करने भी आते हैं। नौहराधार से करीब 16 Kilomiter की पैदल यात्रा कर श्रदालु चुडधार पहुंचते है। करीब 12 हजार फुट ऊंची इस चोटी के रास्ते मे जमनाला अथवा तीसरी से आगे कंई जगह अभी भी काफी बर्फ मौजूद है। बाहरी इलाकों के कुछ श्रदालु बर्फ पर नही चल पाते और यहीं से लौट आते हैं। Government of India के परिवहन मंत्रालय द्वारा यदि जल्द 250 करोड़ के प्रस्तावित 8 KM नौहराधार-चूड़धार Rope Way का निर्माण करवाया जाता है, तो निश्चित तौर पर बाहरी राज्य के श्रदालुओं, बुजुर्गों व दिव्यांगों को शिरगुल महाराज के दर्शन करने में आसानी होगी। 

PWD Division Sangrah के अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह रतन शर्मा ने बताया की, 7 करोड़ से अधिक की लागत के जमनाला तक के 8 किलोमीटर नौहराधार-चूड़धार मार्ग के टेंडर हो चुके हैं। इस सड़क से आधी दूरी तक गाड़ियां जा सकेगी, हालांकि इसके बाद Wildlife area व जन आस्था के चलते सड़क निर्माण की अनुमती नही ली गई है। मैदानी इलाकों मे बेशक तेज गर्मी शुरू हो चुकी है, मगर चूड़धार में बर्फ के चलते अभी भी रात को तापमान 0 डिग्री से कम है। बाहरी राज्यों अथवा हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे कईं लोगों को Hotel व गेस्ट हाउस आदि में कमरें नही मिलने पर मजबूरन अपनी गाड़ियों में रात गुजारनी पड़ी। नौहराधार के रास्ते में अस्थाई ढाबे खुल चुके है और ढाबा धारक भी यात्रियों को मुश्किलों को कम करने का प्रयास करते है। छह माह बर्फ से बंद रहने वाले चूड़धार में खासकर जून माह से नवंबर माह तक भक्तो का तांता लगा रहता है। Corona बंदिशों मे छूट के चलते इस वर्ष अप्रैल में ही श्रदालु Churdhaar Temple पहुंच रहे है। परम्परा के अनुसार पोल कहलाने वाले शिरगुल महाराज मंदिर के Pol कहलाने वाले कपाट बैशाखी पर खुलते है। चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा यहां भंडारा अगले माह से शुरु किया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने श्रदालुओं से रात को चूड़धार यात्रा का जोखिम न उठाने की अपील की है।

 


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