सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परम्पराओं का संरक्षण भी है Giripaar को ST Status की मांग सिरे चढ़ने का 1 मुख्य आधार
साजा पर्व पर कुल देवता को चढ़ाए जाते हैं घी व अनाज
देवामानल के शिरगुल देवता व बिजट महाराज मंदिर में हुई विशेष पूजा
संगड़ाह। सिरमौर District की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व Traditions को संजोए रखने के लिए मशहूर Giripaar क्षेत्र में शनिवार को Magho re Saje के नाम से मनाई जाने वाली मकर संक्रांति पर लगभग सभी 155 पंचायतों के मंदिरों में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। साल 4 Sankranti को यहां साजा अथवा साजे के नाम से मनाया जाता है और इस अवसर पर हर परिवार का 1 सदस्य अपने कुल देवता को अनाज व घी आदि भेंट करने की परम्परा निभाता है। उपमंडल संगड़ाह के नौहराधार, हरिपुरधार व गत्ताधार आदि ऊपरी हिस्सों में कल 1st Snowfall के चलते आज भी पड़ोसी राज्यों से काफी संख्या में Tourist भी पंहुचे। क्षेत्र के देवामानल गांव में शनिवार को शिरगुल देवता व बिजट महाराज Temple में हुई विशेष साजा पर्व पूजा में नौहराधार तहसील अथवा चेगड़ोटी क्षेत्र की दर्जन भर पंचायतों से श्रद्धालु पंहुचे। गौरतलब है कि, गिरिपार अथवा Greater Sirmaur में माघी त्यौहार के दौरान पिछले 3 दिनों में जहां 40,000 के करीब बकरे कटे, वहीं साजे पर किसी भी घर में Meat न पकाने की परम्परा है।हर तीसरे महीने मनाए जाने वाली संक्रांति अथवा साजा पर्व पर पटांडे, अस्कली, सीड़ो व धोरोटी आदि पारम्परिक व्यंजन पकाए व परोसे जाते हैं। क्षेत्र में आज भी सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परम्पराओं का संरक्षण गिरिपार को Shedule Tribe Status की मांग सिरे चढ़ने का 1 मुख्य कारण समझा जाता है।
Comments
Post a Comment