राज्यपाल ने किया अरबों का Budget खर्च होने के बावजूद लंबित रेणुकाजी Dam का site Visit

PM मोदी द्वारा शिलान्यास के बाद खर्च हो चुका है 1000 करोड़ से ज्यादा का Budget

मांगे पूरी न होने तक Project का काम रोकने का अभियान छेड़ चुकी है विस्थापितों की संघर्ष समिति 

संगड़ाह। Governor of Himachal Pradesh शिव प्रताप शुक्ल द्वारा मंगलवार अरबों का Budget खर्च होने के बावजूद लंबित Renukaji Dam Project का site visit किया गया और HPPCL को 5 साल की तय अवधि में Project complete करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने सतयुगी तीर्थ कहलाने वाले श्रीरेणुकाजी मे माता व भगवान परशुराम की विधिवत पूजा अर्चना भी की। पहली बार Sirmaur District visit पर पंहुचे महामहिम कल सर्किट हाउस जिला के अधिकारियों व चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स की Meeting लेंगे। गौरतलब है कि, राष्ट्रीय महत्व की रेणुकाजी बांध परियोजना का virtual शिलान्यास Prime Minister Narendra Modi द्वारा 27, दिसंबर 2021 में किया जा चुका है और 7000 करोड़ के इस Project पर 1000 करोड़ ₹ से ज्यादा की राशि खर्च होने के बावजूद अब तक वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है। मांगे पूरी न होने तक बांध निर्माण संबंधी कार्य रोकने का अभियान छेड़ चुकी विस्थापित संघर्ष समिति द्वारा महामहिम को ज्ञापन सौंपा गया।

 विभाग के अनुसार Dan से 41 गांव तथा 7,000 की आबादी प्रभावित होगी और मात्र 346 परिवार बेघर हो रहे हैं। महज 40 मेगावाट की इस परियोजना के लिए 90% Budget केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है और संभवतः इसीलिए अरबों का बजट खर्च होने के बावजूद काम शुरू न होने के लिए Himachal Government गंभीर नहीं है। करीब 26 KM लंबे इस बांध से डूबने वाले संगड़ाह-नाहन Road की वैकल्पिक सड़क के लिए भी ऊर्जा एवं बहुउद्देशीय परियोजना विभाग से Budget मिलना शेष है, हालांकि DPR बनाने के लिए ExEn PWD संगड़ाह को कुछ राशि जारी की जा चुकी है। राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना से दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्य को लगातार 23 क्युमेक्स ताजा पानी उपलब्ध करवाना भी जानकार संभव नहीं बता रहे हैं, क्योंकि गर्मियों में नदी का डिस्चार्ज अथवा जल स्तर महज 5 क्युमेक्स के करीब रहता है। ऐसे में परियोजना के अधिकारियों के अनुसार बरसात में reservoir में Store होने वाला बरसात अथवा बाढ़ का पानी कई दिनों तक Supply किया जाएगा, हालांकि इस बारे कोई Public Document अब तक जारी नहीं किया गया। गौरतलब है कि, 1960 के दशक में 60 MW की गिरी विद्युत परियोजना के साथ ही रेणुकाजी बांध का सर्वेक्षण भी शुरू हो गया था, मगर 2021 तक जहां बजट व राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में जहां राष्ट्रीय महत्व की यह परियोजना नेताओं के भाषणों तक सीमित रही, वहीं अब प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किए जाने व 1000 से ज्यादा Budget खर्च होने पर विस्थापितों का विरोध व State Government अथवा HPPCL की लापरवाही इसके लटकने के मुख्य कारण समझे जा रहे हैं।


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