व्यापारियों व मेलार्थियों के अनुसार प्रशासन द्वारा Plots के rate तो बढ़ाए गए, मगर मूलभूत सुविधाएं नहीं
CM का न आना, सुविधाओं का अभाव व परम्पराओं की अनदेखी समझे जा रहे हैं मेला फीका रहने के कारण
संगड़ाह। अंतरराष्ट्रीय मेला रेणुकाजी में इस बार गत वर्षों की तरह जमकर खरीददारी न होने व Plots के रेट बढ़ाए जाने से व्यापारी घाटे लगने की बात कह रहे हैं और कुछ तो खर्चा पूरा न हो पाने की भी आशंका जता रहे हैं। मेले में इस बार Chief Minister के आने की परम्परा टूटने, HRTC Buses कमी व डेरा परम्परा समाप्त कर चुके सिरमौर जिला प्रशासन द्वारा मेलार्थियों की मूलभूत सुविधाओं व परम्पराओं की अनदेखी तथा सांस्कृतिक संध्याओं में प्रदेश के अन्य अंतर्राष्ट्रीय मेलों के स्तर के कलाकार न बुलाए जाने को लोग व व्यापारी भीड़ न जुटने के कारण मान रहे हैं। इसके अलावा उपमंडल संगड़ाह की रेणुका जी तहसील में एकादशी स्नान की बजाय मेले का अवकाश अन्य 2 दिन रखे जाने से भी स्थानीय लोग बड़े स्नान के लिए कम संख्या में पंहुचे। बसों की कमी के चलते काफी लोग Pick-up जैसे Goods carrier वाहनों में यात्रा करते दिखे। सदियों से आयोजित होने वाले इस मेले में परम्परा के अनुसार एकादशी व पूर्णिमा को सतयुगी तीर्थ कहलाने वाली रेणुकाजी झील में स्नान का विशेष महत्व रहता है।व्यापारियों को घाटे के बावजूद रेणुका जी विकास बोर्ड अथवा Sirmaur District Administration ने जानकारी के अनुसार दुकानों की जगह बेचकर गत वर्ष से ज्यादा कमाई की। मेले में Plot बेचने, मंदिरों के चढ़ावे व स्मारिका सहित विभिन्न साधनों से जानकारी के अनुसार प्रशासन को एक करोड़ के करीब कमाई होती है, हालांकि इस बार भी कमाई को लेकर प्रशासन द्वारा अब तक मीडिया को जानकारी अथवा Press note जारी नहीं किया गया। बहरहाल दुकानदारों के अनुसार इस बार मेले से पहले जैसी कमाई नहीं हुई और आज बुधवार को Governor शिव प्रताप शुक्ल द्वारा मेले का समापन किए जाने के बावजूद वह अगले 2-3 दिन रहने की सोच रहे हैं क्योंकि आसपास के काफी लोग मेला समाप्त के बाद कीमतें कम होने के चक्कर में खरीदारी करते हैं।






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